आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। किसान कुछ उपायों पर अमल करें, तो गेहूं की अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। इसमें बिना पैसे वाला उपाय है गेहूं की अगेती बोआई। कृषि विज्ञान केंद्र, लेदौरा के अध्यक्ष डा. एलसी वर्मा ने बताया कि विगत पांच वर्षों से किए गए अनुसंधान में पाया गया है कि अगर किसान गेहूं की बोआई नवंबर के प्रथम पखवाड़े में करते हैं, तो पैदावार में 4 से 5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की बढ़ोतरी होती है। जिन किसानों के खेत तैयार हैं वह तुरंत गेहूं की बोआई करें। जिन किसान भाइयों के धान की कटाई हुई है वह इसी नमी पर जीरो टिलेज, सुपर सीडर या हैप्पी सीडर मशीन का प्रयोग कर बिना खेत की तैयारी किए गेहूं की बोआई कर सकते हैं। इससे खेत की तैयारी में लगने वाले समय की बचत होती है। जिन किसानों के सामने कंबाइन से कटाई में पुआल के ढेर लगने से मशीन द्वारा बोआई में समस्या आती है, वह पहले अपने खेत में मल्चर मशीन का प्रयोग कर फिर सुपर सीडर, हैप्पी सीडर या जीरो टिलेज मशीन से बोआई करें तो उनकी यह पराली खाद बनकर खेत की उर्वरा शक्ति भी बढ़ाएगी और पराली जलाने की समस्या भी दूर हो जाएगी।
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इन प्रजातियों का करें चयन:ःः
आजमगढ़। अच्छी पैदावार के लिए गेहूं की उन्नत प्रजातियों का चयन करें। इसमेंएचडी 3226, डीबीडब्ल्यू 187, डीबीडब्ल्यू 252, डीबीडब्ल्यू 222, तथा एचडी 2967 का उत्पादन अच्छा माना जाता है। इन प्रजातियों की अच्छी पैदावार के लिए किसान सुपर सीडर से बोआई करें तथा उससे पहले खेत में 45 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से डाल दें और फिर सुपर सीडर में 50 किलोग्राम डाई एवं 40 किलोग्राम पोटाश डालकर बोआई कर दें। प्रति एकड़ 40 किलोग्राम बीज जिसमें 85 प्रतिशत अंकुरण क्षमता हो।
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बोआई से पहले करें बीज का शोधन:ःः
आजमगढ़। पूर्व में बीज को बाविष्टिन या थीरम नाम की दवा 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज को शोधित करें। गेहूं की पूरी फसल के दौरान 110 किलोग्राम यूरिया देना होता है। इस यूरिया को तीन बार में पहली सिंचाई के बाद, दूसरी सिंचाई के बाद तथा बाली निकलने के पहले खेत में डाल दें। किसी भी दशा में खेत में पराली न जलाएं।
रिपोर्ट-सुबास लाल