गणितीय सिद्धांत, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ही करें कोई कार्य
वाराणसी (सृष्टि मीडिया)। भारत में सनातन धर्म के अनुसार सावन का प्रमुख त्योहार रक्षाबंधन सावन पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार तिथियों के फेर से सावन पूर्णिमा की तिथि दो दिन मिल रही है। दूसरी तरफ, रक्षाबंधन पर्व के विषय में बहुत से भ्रम उत्पन्न कर दिए गए हैं जिनका निवारण के लिए गणितीय सिद्धांत, ज्योतिष शास्त्र के द्वारा होता है। शास्त्रों के अनुसार श्रावण की पूर्णिमा को किया जाने वाला उपकर्म और रक्षाबंधन भद्रा के बाद करना चाहिए, किंतु मुहूर्त चिंतामणि और रत्नमाला व ज्योतिष शास्त्र के अन्य प्राचीन ग्रंथों के आधार पर भद्रा का मुख-भाग एवं उसका विचार तथा इनका शुभ -अशुभ फल महत्वपूर्ण स्थान है।
जाने-माने आचार्य विशाल पोरवाल बताते हैं कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भद्रा के पुच्छ भाग में शुभ कार्य किए जा सकते हैं तथा मुख्य भाग में शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। 11 अगस्त भद्रा का मुख भाग 6:50 बजे शाम से 8:50 बजे रात्रि तक रहेगा। उस समय रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए। अत: गणितीय एवं सिद्धांत ज्योतिष व शास्त्रों के अनुसार रक्षाबंधन के लिए शुभ मुहूर्त शाम पाँच बजकर 38 मिनट से छह बजकर 50 मिनट तक है। अति आवश्यक होने पर सुबह 10 बजकर 38 मिनट से पाँच बजकर 38 मिनट तक राखी बांधी जा सकती है। यद्यपि मकर राशि पर चंद्रमा होने से भद्रा पाताल लोक में रहती है लेकिन कहीं भी भद्रा हो तो रक्षाबंधन निषेध माना गया है। पंचांग के अनुसार, भद्रा पुच्छ में रक्षाबंधन किया जा सकता है, इसीलिए दिन में चार बजकर 32 मिनट से शाम पांच बजकर 44 मिनट तक रक्षाबंधन का मुहूर्त बनता है।
आचार्य विशाल पोरवाल ने बताया कि देश काल की परिस्थिति को देखते हुए कार्य करने से धर्म की मर्यादाएँ अक्षुण्ण बनी रहती हैं, इसीलिए पूर्णिमा तिथि में रक्षाबंधन करना उचित रहता है इसलिए का पर्व इस बार दो दिन मनाया जाएगा। 11 अगस्त को रात आठ बजकर 30 मिनट पर भी रक्षा सूत्र बांधा जा सकता है। इस बार 12 अगस्त को पूरे दिन राखी बांधने के लिए मिल रहा है, जो सुबह साढ़े पाँच बजे से शाम सात बजकर 17 मिनट तक रहेगा। आचार्य का मानना है कि पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को रात नौ बजकर 35 मिनट पर भद्रा लग रही है जो 12 अगस्त को सुबह सात बजकर 17 मिनट तक रहेगी। शुक्रवार 12 अगस्त को पाँच बजकर 30 मिनट से पूरे दिन रक्षा सूत्र बांधने का शुभ समय है।