जहां हुए थे लहूलुहान वहीं बिराजेंगे श्रीराम: नन्द किशोर

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रानीकीसराय आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। अयोध्या में जहां श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है वहीं उनकी भी मुरादें पूरी हो जायेंगी जो कार सेवा में घायल हुए थे। उस दौरान रामलला के चबूतरे को कुछ अंश हाथो से जुड़ाई मंे भी योगदान दिया था। तब हुए थे लहूलुहान अब दिलो में छाई खुशी मेरे राम आ रहे हैं। रानी की सराय कस्बा निवासी नंद किशोर आज भी अवशेष और रुमाल सुरक्षित रखे हैं।
अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के दिन जहां घरों में दीप जलांने की तैयारी है वहीं उनकी खुशी का ठिकाना नही है जो इस भव्य मंदिर के लिए लंबे समय पहले ईंट पत्थर खाये थे और बहते खून के बीच भविष्य मंे स्वप्न पाले थे जो पूरा हो गया। 6 दिसंबर 1992 की कार सेवा यात्रा श्रीराम मंदिर का नाम आते ही जेहन में उतर जाता है। कस्बे के नन्द किशोर गुप्ता ने भी कार सेवा में सहभागिता निभाई थी। उस दौरान तमाम रोक के बावजूद तमिलनाडु के साथी कारसेवकों के साथ बाजार के लोगो के साथ गांव की पगडंडियों के सहारे अयोध्या कूच किये थे। प्रशासन के रोक के बीच गांव के रास्ते के दिन आज भी उन्हें बखूबी याद है। विध्वंस के दौरान रस्सियों के सहारे झूल गये और ईंट पत्थर लगने से लहूलुहान हो गये थे।
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घायल हालत मंे ही मिले थे अशोक सिघंल से

रानीकीसराय (आजमगढ़)। स्थानीय कस्बा निवासी नन्द किशो ने पत्रकारों को कि उस दौरान घायलावस्था में पास के सुरक्षित स्थान पर अन्य घायलों के साथ थे जहां बिश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल से मिले। रात मंे कुशलक्षेम पूछा फिर चले गये। यहां से घर के लिए अयोध्या से भागने लगे तो पत्थर के टुकडों को उठा कर लाये थे और संजोए रखे। अब रामलला का प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है तो इनके दिलो में भी खुशियां छाई है।
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रामलला हम आयेंगे मंदिर वहीं बनायेंगे

रानीकीसराय (आजमगढ़)। नन्द किशोर ने बताया कि अयोध्या में आयोजित कार सेवा में भाग लेने के लिए उस दौरान नारा था रामलला हम आयंेगे मंदिर वहीं बनायेंगे। आज यह नारा चरितार्थ हो रहा है। यह नारा सबकी जुबा पर था।
कारसेवा में शामिल नन्द किशोर कहते है पहली बाजार के जगदीश गुप्ता, आनंद गुप्ता, दिलीप गुप्ता, अनूप चौरसिया, अजय गुप्ता, रामबहाल सिंह, राजू मोदनवाल समेत 15 लोग थे। इन्हें गोसाईगंज तक गांव के पगडंडियों के सहारे लेकर गये वहां इन लोगों को सुरक्षित कर पुनः रानीकीसराय आये यहां से दक्षिण भारत के तमिलनाडु के आठ कारसेवकों को लेकर पुनः गये। हमारे पहुंचने से पहले हमारे साथी रवाना हो चुके थे। रास्ते में दिलीप गुप्ता और अनूप को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था जबकि अन्य साथी अयोध्या पहुंचने में कामयाब थे।
नन्द किशोर गुप्ता का कहना है कि जिस समय बाबरी विध्वंस शुरु हुआ मैं भी रस्सी के सहारे झूल गया तभी विध्वंस का एक पत्थर सिर पर लगा और मैं गिर गया। खून गिरने पर भी ललक थी केवल कार्य पूरा होने की। घायलावस्था मंे कुछ ही दूर बने कैंप में लाया गया जहां तमिलनाडु के साथ महराष्ट्र के भी कारसेवक थे यहीं पर दवा पट्टी हुई। लंबे अर्से से सपना सा था कि अयोध्या में मंदिर निर्माण होगा जो अब पूरा हो गया। प्राण प्रतिष्ठा होते ही जीवन की सारी खुशी मिल जायेगी। यह हमारे लिए सपने पूरे होने जैसे से कम नही है। नंद किशोर के साथ ही परिवार के अन्य सदस्य भी गदगद हैं रामलला बिराजेगें।
रिपोर्ट-प्रदीप वर्मा

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