जयंती पर याद किये गये श्रीआद्य शंकराचार्य एवं सूरदास

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फूलपुर आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। जगद्गुरु भगवान श्रीआद्य शंकराचार्य तथा संत सूरदास की जयन्ती श्री राम जानकी मंदिर परिसर फूलपुर में आयोजित हुई। सर्वप्रथम दीप प्रज्वलन एवं पुष्प अर्पित किया गया। अध्यक्षता हरिप्रसाद पांडेय तथा ऋषि कुमार तिवारी उर्फ आचारी बाबा तथा संचालन विद्यार्थी सक्षम पांडेय ने किया।
आकाश यादव, दिव्यांशु, कु. जैश्री (सुकृति) रावत ने उनकी जीवनी व कृतियों पर प्रकाश डाला। निर्मला मौर्या, मधुबाला ने गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ किया। पद्मा बरनवाल ने ओम नमो भगवते वासुदेवाय भजन सुनाया। रामसेवक सोनकर ने कहा कि इन महापुरुषों के बताए मार्ग पर चलना चाहिए।
नगर पंचायत अध्यक्ष रामअशीष बरनवाल ने कहा कि सत् संकल्प से कार्य करने वाले को सफलता अवश्य मिलेगी। डॉ.राजेन्द्र मुनि ने कहा कि शंकराचार्य जी को बाल्यकाल से ही वेदों शास्त्रों का ज्ञान था। उन्होंने 5 वर्ष में बालबोध संग्रह लिखा। 8 वर्ष की आयु में सन्यास लिया। वेदों उपनिषदों आदि को भाष्य किया। गुरु गोविंद आचार्य से शिक्षा ले विद्वान मंडन मिश्र से शास्त्रार्थ में विजयश्री प्राप्त कर दिग्दिगन्त में वेदों की दुंदुभी बजाया। समाज में समता व राष्ट्र के अखंडता के लिए चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना व व्यवस्था किया। प्रज्ञा ने कहा कि शंकराचार्य जी बचपन से ही सद्ज्ञान लिया व दिया। इस अवसर पर वीना, शशिकला, आस्था, साहिल, सन्तोष, राघवेन्द्र आदि मौजूद रहे।
रिपोर्ट-मुन्ना पाण्डेय

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