आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। साइबर क्राइम की घटनाएं बढ़ रही हैं और बिना कुछ सोचे-समझे ओटीपी आदि शेयर करना बड़ा कारण बन रहा है। दूसरी ओर युवाओं में जल्दी पैसा कमाने की जिज्ञासा को भी साइबर अपराधी समझते हैं और उन्हें पैसा कमाने की लालच में फंसाकर शिकार बनाते हैं। ऐसे में जागरूकता ही साइबर क्राइम से बचाव का सबसे बेहतर उपाय है।
यह बातें सहायक पुलिस अधीक्षक शुभम अग्रवाल ने सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल मेें साइबर क्राइम के प्रति जागरूकता कार्यक्रम में कही, साथ ही बच्चों की जिज्ञासा भी अपने उत्तर से शांत की। कहा कि साइबर अपराध के शिकार होने से बचने के लिए मोबाइल और कम्युनिकेशन गैजेट पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। प्रायः देखा जाता है कि छात्र/छात्रा घरवालों से छिपाकर अपने पाकेट खर्च या अन्य माध्यम से पैसे का प्रबंध करके साइबर जालसाजों को दे देते हैं। इसका परिणाम होता है कि साइबर क्रिमिनल उन्हें और ज्यादा ब्लैकमेल करते हैं और अन्ततः बच्चे गलत कदम उठाते हैं। सलाह दी कि साइबर ब्लैकमेलिंग होने पर अपने अभिभावक को नहीं बता पा रहे हैं, तो 1930 या साइबर पोर्टल पर अपनी रिपोर्ट कर सकते हैं, जिसे गोपनीय रखा जाएगा। बताया कि आनलाइन ट्रेडिंग के नाम पर हर आयु वर्ग के लोगों को फंसाया जा रहा है। नाबालिग बच्चे भी इसमें शामिल हैं। कलर ट्रेडिंग का एल्गोरिदम ही ऐसा है कि शुरुआत में कम पैसे इन्वेस्ट करने पर पैसे बढ़ाता है तथा बाद में ज्यादा इन्वेस्ट कराकर लोगों के पैसे लूट लिए जा रहें हैं।
साइबर सेल कर्मचारियों ने बताया कि किसी भी ओटीपी के मैसेज को पूरा पढ़कर ही आगे प्रोसीड करना चाहिए। प्रायः देखा जाता है कि लोग ओटीपी को पापअप/नोटीफिकेशन पर देखकर ही किसी को दे देते हैं या स्वयं उपयोग कर लेते हैं। अन्त में विद्यार्थियों की ओर से आए प्रश्नों का उत्तर सहायक पुलिस अधीक्षक शुभम अग्रवाल ने देकर जिज्ञासा शांत की। कार्यक्रम में विद्यालय के प्रबंधक, हाफ लेमन रेडियो के आरजे आदिल आदि उपस्थित रहे।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार