आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। प्रोफेसर गीता सिंह “शिक्षक श्री“की सम्पादित पुस्तक “सगुण काव्य“ (एम.ए.हिन्दी द्वितीय सेमेस्टर, महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय आजमगढ़) का लोकार्पण स्वामी सहजानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर एवं केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा (शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित द्वि-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में भव्य रूप में किया गया।
इस अंतरराष्ट्रीय दो-द्विवसीय संगोष्ठी में देश और विदेश से हिन्दी विद्वानों का विमर्श “वर्तमान वैश्विक परिवेश में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की प्रांसगिकता“ पर चल रहा है। संगोष्ठी में बोलते हुए प्रो.गीता सिंह ने कहा कि-अपनी सांझी सांस्कृतिक विरासत के कारण भारत एक प्राचीन सांस्कृतिक राष्ट्र है। सांस्कृतिक सूत्र में बंधा यह राष्ट्र भारत को विश्व में अलग पहचान देता है।
ध्यातव्य है कि प्रो.गीता सिंह अध्यक्ष स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग डीएवी पीजी कॉलेज, आजमगढ़ में कार्यरत हैं। वह हिन्दी साहित्य में लगातार कार्य कर रहीं हैं। यह उनके द्वारा प्रकाशित हिन्दी साहित्य की 20वीं पुस्तक है। इनके संपादन में आजमगढ़ से निकलने वाली “अखिल गीत शोध दृष्टि“ (अंतरराष्ट्रीय अर्धवार्षिक शोध जर्नल) का अब तक 18 अंक प्रकाशित है। अंक 19 प्रकाशनाधीन है। अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर अब तक 6 दर्जन शोध पत्र प्रकाशित हैं। इनके कुशल शोध निर्देशन में अब तक 12 शोध छात्रों को पीएचडी की उपाधि मिल चुकी है और अनेक शोध छात्र शोध कार्य कर रहें हैं। अनेक छात्र देश के विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद को सुशोभित कर रहें हैं। इनके कुशल लेखन और उच्च शिक्षा में किये जा रहे उच्च कार्य से इनको अनेकों संस्थाओं ने सम्मानित भी किया है। सगुण काव्य पुस्तक के लोकार्पण के लिये डॉ.गीता सिंह ने एतदर्थ प्राचार्य प्रो.वीके राय एवं संगोष्ठी समन्वयक डॉ.प्रमोद कुमार श्रीवास्तव “अनंग“ के प्रति आभार व्यक्त किया।
रिपोर्ट-उमेश राय, दीपू खरवार