लालगंज आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। मथुरापुर देवगांव में आयोजित मानस कथा प्रवचन पाठ में कथा वाचक शास्त्री जी ने रुक्मिणी विवाह का भावपूर्ण वर्णन प्रस्तुत किया। जिसे सुन श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो उठे। उन्होंने बताया कि रुक्मिणी विद्या, सौंदर्य और धर्म की प्रतिमूर्ति थीं तथा भगवान श्रीकृष्ण के प्रति असीम प्रेम रखती थीं।
कथा वाचक ने कहा कि रुक्मिणी के माता-पिता ने उनका विवाह शिव अथवा किसी अन्य राजकुमार से करने का निर्णय लिया था, किंतु रुक्मिणी मन ही मन केवल भगवान श्रीकृष्ण को ही अपने पति के रूप में चाहती थीं। उन्होंने गुप्त रूप से एक पत्र लिखकर श्रीकृष्ण से निवेदन किया कि वे आकर उन्हें अपने साथ विवाह हेतु ले जाएं। शास्त्री ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी की विनती को स्वीकार किया और वीरता एवं बुद्धिमत्ता के साथ नगर पहुंचे। संघर्ष और युद्ध के उपरांत अंततः रुक्मिणी का विवाह भगवान श्रीकृष्ण से संपन्न हुआ।
इस प्रसंग के माध्यम से कथा वाचक ने संदेश दिया कि सच्चा प्रेम सभी बाधाओं को पार कर लेता है और परमपिता परमेश्वर की कृपा से विजय अवश्य मिलती है। उन्होंने श्रोताओं को प्रेरित किया कि भक्ति और विश्वास के बल पर जीवन की कठिनाइयों का सामना निडर होकर करना चाहिए।
इस अवसर पर आयोजक ज्योतिषाचार्य काली प्रसाद तिवारी, गोपाल चौरसिया, अमित चौरसिया, विद्युत प्रधान, रमेश हिंदुस्तानी, अवधेश सेठ, विजय चौरसिया, ब्रहदेव तिवारी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
रिपोर्ट-मकसूद अहमद