कहा- विगत सत्र में प्रवेश पाए हुए प्रति बच्चे को 5000 रुपये की प्रतिपूर्ति दिलाना सुनिश्चित किया जाए
वाराणसी (सृष्टि मीडिया)। निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12-1-ग के अंतर्गत दुर्बल आय वर्ग के बच्चों को निजी विद्यालयों की कक्षा एक एवं प्री-प्राइमरी कक्षा में निशुल्क प्रवेश दिए जाने के सम्बंध में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी नवीनतम व्यवस्था के तहत आवेदन की प्रक्रिया चल रही है। प्रवेश प्रक्रिया के लिए आवेदन पोर्टल http://www.rte25.upsdc.gov.in/ में व्याप्त कमियों को दूर करने की माँग को लेकर शिक्षा का अधिकार अभियान, भुक्तभोगी अभिभावकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय के समक्ष धरना दिया साथ ही ज्ञापन सौंपा। मांग की गई कि पोर्टल की कमियाँ तत्काल दूर कराई जाए।
निशुल्क शिक्षा के लिए गरीब बच्चों का निजी स्कूलों में प्रवेश की प्रक्रिया सहज बनाई जाए
बतादें, आवेदन हेतु जारी किये गये पोर्टल में खामियों के चलते ग्रामीण क्षेत्र के निवासी आवेदन करने से वंचित हैं। जिले के तमाम मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों का नाम पोर्टल पर उपलब्ध नही है, जिस कारण इन विद्यालयों में प्रवेश हेतु आवेदन नही किया जा सकता है। धरने के दौरान वक्ताओं ने बताया कि विगत सत्र में प्रवेश प्राप्त किये हुए बच्चों में से अधिकतर को शासन द्वारा स्वीकृत रुपये 5000 की प्रतिपूर्ति अभी तक नही मिल सकी है साथ ही अनेक स्कूलों को शुल्क की प्रतिपूर्ति नही मिली है।
आवेदन पोर्टल में व्याप्त गड़बड़ी दूर की जाय
उन्होंने माँग की कि आनलाइन आवेदन के लिए उपलब्ध विद्यालयों की सूची में काफी अनियमितता हैं, अनेक नामचीन विद्यालयों में बच्चों की संख्या विगत वर्षों की तुलना में काफी कम दर्शाई गयी है। विद्यालयों की सूची में अनेक विद्यालयों का ग्राम और वार्ड गलत दर्शाया गया है, जिससे अभिभावकों को असुविधा हो रही है। अनेक विद्यालयों का नाम सूची में प्रदर्शित ही नही हो रहा है। आवेदन करते समय प्रक्रिया बीच में रूक जाने पर अथवा किसी त्रुटि होने पर दूसरा फार्म भरना हो तो वेबसाईट इसे स्वीकार नही कर रही है। इस कारण अनेक अभिभावक आवेदन नही कर पा रहे हैं। धारा 12-1-सी के तहत पहले से पढ़ रहे छात्रों का विगत वर्ष की प्रतिपूर्ति के बकाये का भुगतान विद्यालयों को नहीं हो सका है, जिस कारण कुछ विद्यालयों द्वारा अभिभावकों पर फीस जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है। विगत वर्षों में चयनित छात्रों को रुपये 5000/- की प्रतिपूर्ति का भुगतान भी नही हुआ है।
ये भी हैं माँगे
विगत वर्षों में प्रवेश देने वाले अनेक विद्यालय इस सत्र में बंद हो गए हैं अथवा किसी अन्य विद्यालय में संयोजित कर दिए गये हैं ऐसे में धारा 12-1-सी के तहत पूर्व से पढ़ते आ रहे बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। इनके शिक्षण की वैकल्पिक व्यवस्था होनी चाहिए। अपने को अल्पसंख्यक स्कूल की श्रेणी में लाकर शिक्षा के अधिकार कानून के दायरे से बाहर होने की मंशा रखने वाले स्कूलों की विशेष जांच की जाय कि किन परिस्थितियों में उन्हें अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा प्राप्त हुआ है। विगत सत्र में चयनित अनेक बच्चों का प्रवेश निजी स्कूलों द्वारा नहीं लिया गया न ही उन पर कोई दंडात्मक कार्यवाही ही हो सकी। इस दौरान जिला शिक्षा समन्वयक विमल केशरी ने कहा कि शीघ्र इन बिंदुओं पर उचित कार्यवाही की जाएगी।
इनकी रही उपस्थिति
गौतम सिंह, वल्लभाचार्य पाण्डेय, प्रदीप सिंह, अनूप श्रमिक, रमेश प्रसाद, मुस्तफा, धनंजय, कैलाश, अमित शर्मा, संजू, राजू यादव, चंदन शर्मा, गुफरान जावेद।
रिपोर्ट : अमन विश्वकर्मा