कागज के कफन में दफन का पुनर्जन्म दिवस 30 जून को

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। मृतक संघ के तत्वावधान में 31वां मृतक पुनर्जन्म दिवस 30 जून को मनायेगा इस दिन मृतक संघ तिरंगा झण्डा और काला झण्डा लेकर जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष धरना देकर अपने 49 वर्षो के संघर्षो 27करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति, सरकारी अभिलेखों में जिन्दा मुर्दा की दोनों फाइल चोरी को उपलब्ध कराने, दोसी अधिकारी कर्मचारियों गलत निर्णय देने वाले से जवाब देहि हो उनके चल अचल सम्पत्ति पेंसन, वेतन से सरकार वूसली कर पीड़ित को देने की मांग करेगा।
पत्रक के माध्यम से मृतक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल बिहारी मृतक ने बताया कि जमीनों मकानों मुकदमों हत्या अपराध की जड़ अधिकारी कर्मचारी कार्यालय न्यायालय के कुछ लोग जिम्मेदार हैं।
उन्होने बताया कि न्यायालय नायब तहसीलदार तहसील सदर मुकदमा नम्बर 298 के अंतर्गत 30 जुलाई 1976 को कलम के हत्यारे जीवित लाल बिहारी पुत्र चौथी को मृत घोषित कर कागज के कफन में दफन कर दिये थे। सैकड़ों प्रार्थना पत्र के बाद लेखपाल मुख्य राजस्व अधिकारी जिलाधिकारी के आदेश पर 30 जून 1994 को ग्राम खलीलाबाद के अभिलेखों में नाम दर्ज कर पुनः जिन्दा कर दिया गया था। उन्होने बताया कि 1976 की जीवित से मृतक और 1994 की मुर्दा से जिन्दा की दोनों सरकारी फाइल को गायब कर साक्ष्य मिटा दिया गया। जिसके सम्बंध में तीन मुकदमें दर्ज हैं। उन्होने कहा सामाजिक न्याय मौलिक अधिकारों मानव अधिकारों की रक्षा संविधान की रक्षा संविधान व न्यायालय के सम्मान में अहिंसा पूर्वक विचारों की क्रान्ति अनोखे संघर्ष 49 वर्षो से जारी है कुछ अन्यायी व्यवस्थाओं पर भारी हैं।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार

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