अतरौलिया आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। रहमत, बरकत, इनायत और अल्लाह की इबादत करने का विशेष महीना है। इससे पूरी तरह वही लोग फायदा उठा पाते हैं, जो अल्लाह की रहमत के सच्चे तलबगार होते हैं, जो गुनाहों से बचते हैं, और नेक कामों में लगे रहते हैं। इसकी फजीलत इसके पैगाम इसके मकसद को जेहन और दिमाग में ताजा रखते हैं, रमजान अल्लाह ताला की कीमती नेमतों में से एक है। यह इंसान को गफलतो, गुनाहों और लापरवाहियों से अलग करके अल्लाह के साथ निस्वार्थ अपनी हकीकी बंदगी का टूटा हुआ रिश्ता सही करने की एक अनमोल दावत है। उक्त बातें मौलाना मोहम्मद अब्दुल बारी नईमी पेश इमाम जामा मस्जिद अतरौलिया और अध्यापक मदरसा अरबिया फैजे नईमी सरैया पहाड़ी आजमगढ़ ने कहीं।
उन्होंने कहा कि यह मुसलमानों के लिए नवैदे जांफेजां है, जिसकी रौनकों और खुशबुओं से साल भर दमकता और महकता रहता है, रमजान में एक रात ऐसी है जो हजार महीनों से बेहतर है।
यह सवाब हर उस व्यक्ति को मिलेगा जो एक घूंट दूध, या एक घूंट पानी या एक गिलास लस्सी से इफ्तार कराये। जिसने रोजदार को पेट भर खाना खिलाया, उसको अल्लाह ताला मेरे हौजें कौसर से इतना पिलायेगा की कभी प्यासा नहीं रहेगा। यहां तक की जन्नत में चला जाएगा। रमजान का पहला 10 दिन रहमत और दूसरा 10 दिन बख्शीश और आखिरी 10 दिन जहन्नम से निजात दिलाता है।
रिपोर्ट-आशीष निषाद