आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। आशाराम बापू की रिहाई की मांग को लेकर विरोध जुलूस निकालकर उनके अनुयायियों व समर्थकों ने विश्व महिला दिवस के उपलक्ष्य में संस्कृति रक्षा अभियान के अंतर्गत सनातन संस्कृति के मुख्य स्तम्भरूप संत आशाराम बापू की रिहाई के लिए जुलूस निकाला। राष्ट्रपति को संबोधित पत्रक जिलाधिकारी को सौंपा।
परिवार से लेकर समाज, देश तथा विश्व की उन्नति में महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। अतः महिलाओं को अपनी वास्तविक हिना से अवगत करवाकर उनके सर्वांगीण विकास हेतु संत आशाराम बापू द्वारा स्थापित महिला उत्थान मंडल की देशभर में फैली शाखाएं निरंतर प्रयासरत हैं। सौंपे गये ज्ञापन में उल्लेख किया है कि लोकहित में अपना पूरा जीवन अर्पित करने वाले संयममूर्ति ऐसे महापुरुष को षड्यंत्र के तहत झूठे आरोपों में फंसाया गया है। इन आरोपों को सिद्ध करने के लिए न्यायालय के पास एक भी सीधा प्रमाण नहीं है। फिर भी बापूजी को आजीवन कारावास की सजा दी गयी है। इसी प्रकार एक अन्य सुनियोजित षड्यंत्र के तहत दूसरे केस में अहमदाबाद की एक महिला को मोहरा बनाकर बापूजी को झूठा फंसाया गया है। लड़की के अलग-अलग बयानों में अनेकों विसंगतियां होते हुए भी 10 वर्ष से बापूजी जेल की यातनाओं को सहते हुए प्रतीक्षारत हैं। प्रसिद्ध न्यायविदों एवं कई संतों ने न्यायालय के इन निर्णयों को भारतीय न्याय व्यवस्था की ऐतिहासिक भूल कहा है। बापूजी पर किया गया केस पूरी तरह से गलत है। पिछले 10 वर्षों में एक घंटे की भी बेल पेरोल या अन्य कोई राहत नहीं दी गई जिससे आहत होकर महिला उत्थान मंडल ने जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को संबोधित पत्र सौंपा और उनकी रिहाई की मांग की। इस अवसर पर मीरा, नीता, अनीता निषाद, विद्या देवी, विमला, सहित दर्जनों अनुयाई उपस्थित रहे।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार