आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। चाइल्ड केयर क्लिनिक सिधारी पर अनौपचारिक बातचीत में शिशु व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.डीडी सिंह ने बताया कि होली एक ऐसा त्योहार है, जो हर भेदभाव को मिटा देता है। रंगों से भरे इस त्योहार की सबसे बड़ी खूबी ही ढेर सारे रंग और गुलाल में बसी होती है। लेकिन होली के दौरान बरती गई थोड़ी सी भी लापरवाही आपको कई तरह की समस्याओं का शिकार बना सकती है।
डा.सिंह ने कहा कि त्वचा से लेकर आंखों और बालों तक को होली के रंग नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि रंगभरे इस त्योहार के पहले थोड़ी सतर्कता बरती जाए, ताकि सेहत से कोई लापरवाही न होने पाए। उन्होंने कहा कि रंगों के बगैर होली का त्योहार असंभव है, लेकिन आजकल रंगों में होने वाले केमिकल के इस्तेमाल के चलते आपको कई तरह की स्वास्थ्य और सौंदर्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। होली के मिलावटी एवं केमिकल युक्त रंगों से त्वचा पर एलर्जी होना आम है। इसके अलावा चकत्ते या जलन पैदा हो सकती है। अगर यह आंख में घुस गया तो इससे रेटिना को भी नुकसान पहुंच सकता है। होली के रंग में लेड ऑक्साइड भी मिलाया जाता है। इसकी वजह से किडनी को नुकसान और यहां तक किडनी फेलियर भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि जब बच्चे होली खेलने के लिए घर से बाहर जाएं तो उनके शरीर पर सरसों का तेल लगा देना चाहिए। वहीं सरसों का तेल चेहरे, हाथ, पैर और शरीर की खुली जगहों पर जरूर लगाएं। इससे उनकी त्वचा पर रंगों का बुरा असर नहीं पड़ता है। साथ ही बाद में रंग को छुड़ाने में आसानी भी रहती है।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार