आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। कृषि विज्ञान केंद्र लेदौरा के अध्यक्ष डा. एलसी वर्मा ने धान के उत्पादन में वृद्धि के लिए नर्सरी डालने से पहले बीज शोधन की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि किसान यदि बीज शोधन कर लें, तो बहुत सी बीज जनित बीमारियों में कमी लाई जा सकती है। वहीं कंडुवा रोग जैसी खतरनाक बीमारियों के नियंत्रण में लगने वाले व्यय को भी बचाया जा सकता है।
डा. वर्मा ने बताया कि कंडुआ जैसी बीमारियों के प्रकोप को कम करने के लिए धान के बीज का बीज शोधन बहुत जरूरी है। बीज शोधन फसलों में टीकाकरण जैसा ही है। बोआई पूर्व बीज शोधन एवं रोपाई पूर्व पौध उपचार से बीमारियों के प्रकोप में कमी लाई जा सकती है। इसके लिए सर्वप्रथम बीज को कुछ देर के लिए साफ पानी में भिगो दें और उसके बाद पानी के ऊपर तैर रहे खराब बीज को छान लें तत्पश्चात स्ट्रिपपटोमायसीन सल्फेट 90 फीसद एवं टेटरासाइक्लिन 10 फीसद की 5 ग्राम मात्रा को 25 किलोग्राम बीज की दर से 100 लीटर पानी में घोल बना लें और इसी पानी में बीज को रात भर भिगो दें। इसके बाद बीज को पानी से छान लें तथा पानी निकल जाने के बाद 2.50 ग्राम थीराम या दो ग्राम कार्बेंडाजिम फफूद नाशी प्रति किलो बीज की दर से बीज में अच्छी तरह मिला दें तथा छाया में बीज को अंकुरित करके नर्सरी डाल दें। ऐसा करने से जीवाणु जनित एवं फफूंद जनित दोनों तरह की बीमारियों में कमी लाई जा सकती है।
रिपोर्ट-सुबास लाल