आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने निजीकरण के लिए तय किए गए मानक स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के ड्राफ्ट को असंवैधानिक बताते हुए प्रदर्शन किया। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल निरस्त करने की मांग की जिससे निजीकरण के नाम पर हो रहे बड़े घोटाले को रोका जा सके।
संघर्ष समिति ने कहा कि स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट टर्म इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में धारा 63 के अंतर्गत केवल ट्रांसमिशन और जेनरेशन की प्रतिस्पर्धात्मक बिडिंग के लिए इस्तेमाल किया गया है। भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने अभी तक विद्युत वितरण के निजीकरण के लिए स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट फाइनल नहीं किया है। सितंबर 2020 में जारी किए गए स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के ड्राफ्ट पर सैकड़ो आपत्ति आई है और अभी तक उनका निस्तारण नहीं किया गया है। खुद ऊर्जा मंत्रालय का कहना है की स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय का व्यू प्वाइंट नहीं है।
संघर्ष समिति ने कहा कि इसका अर्थ यह है कि निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार महंगी दरों पर बिजली खरीद कर सस्ती कीमत पर निजी कंपनी को उपलब्ध कराएगी और
संघर्ष समिति का आरोप है कि स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट का ड्राफ्ट पूरी तरह से निजी कंपनी को बेजा मुनाफा कमाने और सरकारी क्षेत्र की बिजली की लाखों करोड़ों रुपए की संपत्तियों को कौड़ियों के दाम बेचने के लिए बनाया गया है। एनर्जी टास्क फोर्स द्वारा इस ड्राफ्ट को निजीकरण का मानक बनाने का निर्णय पूरी तरह अवैधानिक है। निजीकरण की सारी प्रक्रिया तत्काल निरस्त की जानी चाहिए।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार