निजामाबाद आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। कार्तिक पूर्णिमा, पौराणिक स्थल दुर्वासा धाम पर लगने वाले तीन दिवसीय मेले की तैयारियां जोरों पर है जिसे अंतिम रुप देने के लिए स्थानीय लोगों के साथ मेले में आये दुकानदार लगे हुए हैं।
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर दुर्वासा धाम पर बृहस्पतिवार से मेला शुरू हो जाएगा। पहले दिन को बटोर कहते हैं। मुख्य मेला शुक्रवार और शनिवार को लगेगा। इसके बाद श्रद्धालुओं के वापस जाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। मेला स्थल पर सर्कस, आसमानी झूला, काला जादू, ब्रेक डांस आदि मनोरंजन के लिए लगा दिए गए हैं। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा माह में विभिन्न नदियों के संगम में स्नान करने पर अत्यधिक पुण्य मिलता है। जिसमें कार्तिक पूर्णिमा के दिन दुर्वासा में किए गए स्नान का विशेष महत्व है। हिंदू मान्यताओं के स्रोत पुराणों में उल्लेखित है कि महर्षि अत्रि और माता अनसुइया के पुत्रों में जेष्ठ पुत्र महर्षि दुर्वासा ने जब भारत वर्ष के विभिन्न स्थानों पर तप करने के बाद एक नए स्थान जो जन कोलाहल रहित हो, का संकेत करने का अपने पिता से आग्रह किया तो उन्होंने काशी और कौशल के मध्य अवस्थित इस स्थान को उपयुक्त बताया। इस कारण यह पूरा अंचल पुण्य क्षेत्र है। क्योंकि कुछ ही दूरी पर अत्रि के दूसरे पुत्र दत्तात्रेय और तीसरे पुत्र चंद्रमा ने भी तपस्या की थी। फूलपुर तहसील से लगभग 7 किमी दूर उत्तरी भाग में तमसा और मंजूषा पवित्र नदी के संगम पर महर्षि दुर्वासा की तपोस्थली पर लगने वाले मेले की तैयारी पुरी हो गई हैं। मेले में खुर्जा, बुलंदशहर, बदायूं, इटावा, मैनपुरी अन्य प्रदेशों से व्यापारी दुकान लगाने आए हुए हैं। यहां खजला की दुकान उत्सुकता का केंद्र बनी रहती है। कई स्थानों पर गृहस्थी की दुकानें सजी है। वही पुलिस ने बृहस्पतिवार से तीन दिन तक लगने वाले इस विशाल मेले में सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतेज़ाम किए है। तीन किलोमीटर की परिधि में लगने वाले इस मेले में सुरक्षा के मद्देनजर अहिरौला, फूलपुर और निजामाबाद थाने की पुलिस तैनात की गई है।
रिपोर्ट-वीरेन्द्रनाथ मिश्र