आजमगढ़ (सृष्टि मीडिया)। आजमगढ़ में शराब से हुई मौतों के बाद ग्रामीणों का आरोप है कि इलाकाई थाना पुलिस और आबकारी विभाग के अफसरों की मिलीभगत से ही देसी शराब के ठेके से अवैध तरीके से बेरोक-टोक शराब बेची जा रही थी। इत्तेफाक से इसमें एक लाट जहरीली शराब की आ गई, जो पियक्कड़ों को मौत की नींद सुला गई। चुनावी सीजन में शराब की खपत बढ़ गई थी, जिसकी भरपाई अवैध शराब से की जा रही थी। आजमगढ़ में यूपी चुनाव के आखिरी चरण में मतदान होना है। पुलिस इन मौतों का कनेक्शन चुनाव से जोड़कर छानबीन कर रही है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि कहीं यह शराब चुनाव में मुफ्त में बांटने के लिए तो नहीं लाई गई थी, जिसका कुछ हिस्सा बेचा जा रहा था?
कम दाम पर देसी-विदेश ब्रांड की दारू
आजमगढ़ के मयखाने पियक्कड़ों के ऐसे दरिया हैं जहां कम दाम पर हर ब्रांड की देसी-विदेशी शराब आसानी से खरीदी जा सकती है। दरअसल, वह शराब डिस्टलरी की नहीं, होम मेड होती है। आजमगढ़ के अहरौला क्षेत्र में जहरीली शराब से मौत की घटना नई नहीं है। इससे पहले भी चार मर्तबा हुए शराब कांड में कई लोगों की जानें जा चुकी हैं। वर्ष 2002 में इरनी में हुई घटना में 11, वर्ष 2013 में मुबारकपुर में 53, वर्ष 2017 में सगड़ी क्षेत्र में 36 और 2021 में पवई में हुई घटना में जहरीली शराब पीने से 22 लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले साल मई महीने में माहुल कस्बे से करीब 20 किमी दूर मित्तूपुर गांव में जहरीली शराब से 30 से ज्यादा लोगों की मौतें हुई थीं। इसी तरह जुलाई 2017 में आजमगढ़ के देवरा इलाके में जहरीली शराब ने करीब 23 लोगों की जान ली थी। इन घटनाओं में सवा सौ से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। अगर अहरौला क्षेत्र में हुई घटना में तेरह लोगों की मौत का आंकड़ा जोड़ दिया जाए तो मृतकों की तादाद और बढ़ जाएगी। जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत की हर घटना के बाद पुलिस प्रशासन और आबकारी विभाग कुछ दिनों के लिए सख्ती बरतती है और बाद में पहले की तरह शराब माफिया की हमजोली बन जाती है। आजमगढ़ में जब मौतों का सिलसिला शुरू हुआ तो प्रशासन टालमटोल करने लगा और कहा कि अभी जहरीली शराब से मौत की पुष्टि नहीं हुई है और जांच जारी है। बड़ा सवाल यह उठता है कि पुलिस अपनी चमड़ी बचाना चाहती है या लोगों की जान? क्योंकि अगर लोगों की जान बचानी है तो उसे अपराध से इनकार करने के बजाय जांच करनी चाहिए। अवैध शराब का धंधा करने वाले माफिया को पहचानकर उनका सफाया करना चाहिए।
नहीं उठाए गए सख्त कदम
यह शराब कांड बता रहा है कि पूर्वांचल में शराब माफिया के सफाए के लिए आजमगढ़ में हुई कई जहरीली शराब कांड के बाद भी सख्त कदम नहीं उठाए गए। फिलहाल जहरीली शराब कांड में आजमगढ़ के आबकारी निरीक्षक नीरज सिंह और आबकारी सिपाही सुमन कुमार पांडेय और राजेन्द्र प्रताप सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। अहरौला के थानाध्यक्ष संजय सिंह को भी इस मामले में निलंबित कर दिया गया है। पूरे मामले की विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं, मगर पिछली घटनाओं से सबक लेते हुए पुलिस के साथ आबकारी विभाग भी सक्रिय रहता तो शायद अवैध शराब के धंधे पर रोक लगाई जा सकती थी। अहरौला क्षेत्र में जहरीली शराब पीने से मौत की घटना की जानकारी आबकारी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को सोमवार की सुबह तब हुई, जब क्षेत्र के अलग-अलग गांवों में सात लोगों की मौत हो चुकी थी। जिले में अब तक जितनी भी बड़ी शराब की बरामदगी या गिरफ्तारी हुई है, वह सभी नागरिक पुलिस के खाते में दर्ज है। देवारांचल क्षेत्र में कुटीर उद्योग का रूप धारण कर चुका कच्ची शराब का धंधा संबंधित विभाग और राजनीतिक संरक्षण के चलते फल-फूल रहा है।
नकली शराब बनाने वाले का किया था भंडाफोड़
पुलिस और आबकारी विभाग की टीम ने इसी 20 फरवरी को नकली शराब बनाने वाले एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया था। इस गिरोह के तार मऊ, बलिया, गाजीपुर और देवरिया तक जुड़े हैं। ये लोग बाइक के जरिए नकली शराब बेचा करते थे, जिससे एक साल में सरकार को करीब 30 करोड़ से ज्यादा के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा है। पुलिस ने नकली शराब बनाने की जो फैक्ट्री पकड़ी थी वहां से 1020 लीटर रेक्टीफाइड स्प्रिट, 33 पेटी नकली शराब, बड़ी संख्या में खाली बोतलें, दो किलो यूरिया खाद और 11 मोबाइल फोन बरामद के गए थे। इनके पास से कई प्रमुख शराब कंपनियों के ढक्कन भी मिले थे। ये लोग बोतलों से शराब निकालकर फिर दूसरा ढक्कन लगा दिया करते थे।