कवि गोष्ठी में कवियों ने बांधी समां

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। उत्तर प्रदेश साहित्य सभा आजमगढ़ के तत्वावधान में जनपद के वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश प्रसाद बरनवाल ‘कुंद’ के आवास पर कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश प्रसाद बरनवाल कुंद ने किया। मुख्य अतिथि डॉ.प्रवेश सिंह विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग दुर्गा जी स्नातकोत्तर महाविद्यालय चंडेश्वर तथा विशिष्ट अतिथि संजय कुमार पांडेय ‘सरस’ मंडल संयोजक उत्तर प्रदेश साहित्य सभा थे।
कार्यक्रम का आरंभ संतोष पांडेय की सरस्वती वंदना से हुआ। तत्पश्चात सरोज यादव ने आजमगढ़ की महिमा को बताते हुए बहुत ही सुंदर गीत प्रस्तुत किया। कवि घनश्याम यादव ने ‘संबंधों के बीच यह दुनिया छूटेगी एक दिन सारी जिंदगी ही रुठेगी’ सुनाकर क्षणभंगुर जीवन से सबको आगाह किया। शालिनी राय ने ‘प्रिय लिखूं या मित्र या पतिदेव संघाती लिखूं, जी करें कि आज तुमको प्रेम की पाती लिखूं’ प्रस्तुत किया। वरिष्ठ कवि दिनेश श्रीवास्तव ने ‘अंधेरी सूनी रातों में पपीहरा बोलता है विरह की वेदना के द्वार कोई खोलता है’ सुनाकर कवि गोष्ठी को एक नई ऊंचाई प्रदान की। गोष्ठी को संतोष पांडेय, स्नेहलता राय, गजलकार आशा सिंह, संजय कुमार पांडेय, मृणाल बरनवाल, विजयेन्द्र प्रताप श्रीवास्तव ‘करुण’ ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।
मुख्य अतिथि डॉ.प्रवेश सिंह ने कवि गोष्ठी की भूरि-भूरि प्रशंसा की तथा कहा कि कवि गोष्ठी से समाज के उत्थान का राह प्रशस्त होता है। अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष जगदीश प्रसाद बरनवाल कुंद ने अपनी रचना ‘कुंठा की तोड़ हर दीवार, जाना प्रतिबंधों के पार, रुठी सी लगती क्यों कल्पना, इसको भी कर लें साकार’ सुना कर कवि गोष्ठी को पूर्णता प्रदान कर दिया। इस अवसर पर प्रभात कुमार बरनवाल एडवोकेट ने सभी कवि एवं अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार

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