रानीकीसराय आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। अवंतिकापुरी आवंक धाम पर चल रही रामलीला में जयंत जहां माता सीता के पाव में चोच मार भाग कर फिर प्रभुराम की शरण में आता है वहीं भरत मिलाप देख लोगों की आखें भर आई।
अवंतिका सेवा समिति द्वारा चल रही रामलीला मंचन में बनवास के दौरान माता सीता बैठी रहती हैं। वहीं देवराज इंद्र का मंद बुद्धि पुत्र जयंत कौआ के रुप में सीता जी के पांव में चोंच मारकर भाग गया। जब रक्त बह चला तो रघुनाथ जी ने जाना और धनुष पर तीर चढ़ाकर संधान किया। अब तो जयन्त जान बचाने के लिए भागने लगा। वह अपना असली रूप धरकर पिता इन्द्र के पास गया। पर इन्द्र ने भी उसे श्रीराम का विरोधी जानकर अपने पास नहीं रखा। तब उसके हृदय में निराशा से भय उत्पन्न हो गया और शोक से व्याकुल होकर भागता फिरा तो किसी ने उसे बैठने तक को नहीं कहा, क्योंकि रामजी के द्रोही को कौन हाथ लगाए। जब नारद ने जयन्त को व्याकुल देखा तो उन्हें दया आ गई। उन्होंने उसे समझाकर तुरंत श्रीराम जी के पास भेजा और तब जयन्त प्रभु के चरणों में पहुंचा जहां एक आंख से काना कर छोड़ दिया। इधर अयोध्या से भरत माताओं और मंत्रियों के साथ राम से मिलने बन में पहुंचते हैं। पहले तो दूर से सेना देख लक्ष्मण क्रोधित होकर युद्ध की तैयारी करते हैं लेकिन भविष्य वाणी होते ही शांत हो जाते हैं। प्रभुराम प्रिय भरत को जब गले लगा कहते हैं भरत जैसा भाई नहीं हो सकता। भरत राम संवाद सुन श्रोताओं के आखों में भी आंसू आ गये। इस अवसर पर अमरजीत यादव, अंगद, संदीप, राजमणि मौर्य, रफीक, सफीक, वली मोहम्मद, भगवती यादव, चन्द्रभान गौतम, फौजदार आदि उपस्थित रहे।
रिपोर्ट-प्रदीप वर्मा