आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। सेन्ट्रल पब्लिक स्कूल, जाफरपुर एवं सेन्ट्रल पब्लिक स्कूल, मुबारकपुर में संघर्ष और बलिदान की याद में ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के प्रर्दशनी का आयोजन किया गया। जिसे विद्यालय के विद्यार्थियों एवं अभिभावकों द्वारा सराहा गया।
देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गवानी पड़ी। जिनके लिए भारत सरकार ने लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के तौर पर प्रतिवर्ष मनाने का निर्णय लिया है।
भारत का विभाजन अभूतपूर्व मानव विस्थापन और मजबूरी में पलायन की दर्दनाक कहानी है। यह एक ऐसी कहानी है, जिसमें लाखों लोग अजनबियों के बीच एकदम विपरीत वातावरण में नया आशियाना तलाश रहे थे। विश्वास और धार्मिक आधार पर एक हिंसक विभाजन की कहानी होने के अतिरिक्त यह इस बात की भी कहानी है कि कैसे एक जीवन शैली तथा वर्षों पुराने सह-अस्तित्व का युग अचानक और नाटकीय रूप से समाप्त हो गया।
लगभग 60 गैर-मुसलमान उस क्षेत्र से निकल आए, जो बाद में पश्चिमी पाकिस्तान बन गया। 65 लाख मुसलमान पंजाब, दिल्ली आदि के भारतीय हिस्सों से पश्चिमी पाकिस्तान चले गए थे। 20 लाख गैर-मुसलमान पूर्वी बंगाल, जो बाद में पूर्वी पाकिस्तान बना, से निकल कर पश्चिम बंगाल आए। 1950 में 20 लाख और गैर-मुसलमान पश्चिम बंगाल आए। दस लाख मुसलमान पश्चिम बंगाल से पूर्वी पाकिस्तान चले गए। इस विभीषिका में मारे गए लोगों का आंकड़ा 5 लाख बताया जाता है। लेकिन अनुमानतः यह आंकड़ा पांच से 10 लाख के बीच है।
रिपोर्ट-रामचन्दर