आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। किसी अधिकारी को फोन करने के बाद आगे का परिचय देने की जरूरत नहीं पड़ती थी। बस एक ही आवाज काफी होती थी कि मैं पंचानन राय बोल रहा हूं।
प्रबंधतंत्र हो या फिर सरकार, जहां कहीं शिक्षकों के हितों के साथ खिलवाड़ हुआ वहां उनकी दहाड़ से खिलवाड़ करने वाले को झुकना पड़ता था। अब वह दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनकी वह दहाड़ आज भी शिक्षकों के कानों में गूंजती रहती है।
शिक्षकों को शून्य से शिखर तक की उपलब्धियां अपने संघर्षों की बदौलत अर्जित कराने वाले पंचानन का शिक्षा जगत में योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। 17 साल पहले शिक्षक दिवस पर उनके निधन की खबर ने शिक्षकों को झकझोर कर रख दिया था। वर्ष 1966 में टाउन इंटर कालेज में वह अध्यापक नियुक्त हुए थे, तो शिक्षकों की समस्या को करीब से देखा। देखा कि शिक्षकों को दिया कुछ जा रहा है और हस्ताक्षर कुछ और पर कराया जा रहा है। उन्होंने तुरंत प्रबंधतंत्र के विरुद्ध बगावत कर दी, जिसके चलते उन्हें बर्खास्त होना पड़ा था। उसके बाद 1967 में मालटारी इंटर कालेज में प्रवक्ता पद पर नियुक्त हुए। उन्होंने शिक्षकों से एकजुट होने का एलान किया। 1971 में माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री निर्वाचित हुए। 1977 में उनके संघर्षों को देखते हुए माध्यमिक शिक्षक संघ के तत्कालीन अध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा ने प्रदेश महामंत्री बनाया। 5 सितंबर 1998 को सरकार ने गिरफ्तार करने की योजना बनाई, तो 19 साथियों के साथ गिरफ्तारी दी। 1980 में सगड़ी के विधायक, 1996 में गोरखपुर-फैजाबाद शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी, 2000 में शिक्षक विधायक बने। संघर्षों की बदौलत अध्यापकों के वेतन की नियमावली और भुगतान की व्यवस्था कराई। आज भी पंचानन राय को शिक्षक अपना मसीहा मानते हैं। 2007 में 5 सितंबर को शिक्षक हित में कार्य करने के लिए ही जा रहे पंचानन राय सड़क दुर्घटना में काल कवलित हो गए।
स्व. पंचानन राय की 17वीं पुण्यतिथि 5 सितंबर गुरुवार को उनके आवास हरिऔध नगर आजमगढ़ में शिक्षक स्वाभिमान दिवस के रूप में मनाई जाएगी। इसमें प्रतिभाग करने वाले शिक्षकों को विशेष अवकाश जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा स्वीकृत है। अवकाश के बारे में जानकारी उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री विजय कुमार सिंह ने दी।
रिपोर्ट-सुबास लाल