माहुल आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। फूलपुर तहसील के माहुल निवासिनि ज़ाकिरा दोआ नक़वी कम उम्र में ही बहुत कामयाब मजलिस को पढ़ना और खिताब करना शुरू कर दी है।
माहुल नगर निवासी अली नसीर नकवी की 18 वर्षीय पुत्री दोआ नक़वी ने मजलिस पढ़कर अपनी पहचान बना लिया है। दोआ नकवी के पिता अली नसीर नकवी एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक है। उनके पिता अली नसीर नकवी बताते हैं कि सोशल मीडिया पर पुत्री दोआ नकवी से हज़ार से ज़्यादा लोग जुड़े गये। दोआ नकवी बताती हैं कि पढ़ाई के दौरान ही मौला ने ज़िंदगी को एक ऐसा रास्ता दिखाया जो हर किसी के नसीब में नहीं है। देश के कई शहरों में जाकर मजलिस कर चुकी हूं। मेरे नाना (डॉक्टर फिरोज़ नाहरपुरी) जो ख़ुद मशहूर शायर थे, उनका एक कलाम दृ ष्हमारी मौत भी बनती है बाइसे मजलिस हम अपनी मौत भी नज़रे ईमाम करते हैं हम अहले इश्क़ का रिश्ता है उस घराने से जहां कटे हुउ सर भी कलाम करते हैं ने मुझे मेरी पहचान दिलाई हैं।
रिपोर्ट-श्यामसिंह