गुरु ही योग्य शिष्य द्वारा कर्तव्यशील नागरिक का निर्माण कर सकता है -कुलपति

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आज़मगढ़ (सृष्टिमीडिया)। शिब्ली नेशनल कॉलेज के परिसर में रविवार को महाराजा सुहेलदेव विश्विद्यालय, शिब्ली कॉलेज और भारतीय शिक्षण मण्डल, गोरक्ष प्रान्त के सँयुक्त तत्वावधान में सुहेलदेव विश्विद्यालय के साहित्यिक कैलेन्डर में दर्ज़ पहले कार्यक्रम दीक्षारम्भ समारोह के अन्तर्गत भारतीय ज्ञान परम्परा में गुरु-शिष्य सम्बन्ध एवं शिक्षा का महत्व विषय पर आयोजित एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गयी । समारोह की अध्यक्षता महाराजा सुहेलदेव विश्विद्यालय के कुलपति प्रो0 संजीव कुमार ने की।
कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत मंचासीन अतिथि गणों द्वारा दीप प्रज्वल्लन कर किया गया विश्वविद्यालय की प्राध्यापिकाएं डॉ वैशाली व डॉ प्रियंका ने कुलगीत प्रस्तुत कर माहौल को भावपूर्ण बना दिया। इस अवसर पर ले0 डॉ0 पंकज सिंह एवं डॉ0 आनन्द कुमार सिंह द्वारा लिखित बी0ए0 राजनीतिशास्त्र,अन्तिम वर्ष छठें सेमेस्टर की पाठ्यपुस्तक ष्अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध एवं राजनीतिष् का भी लोकार्पण अतिथि मण्डल के द्वारा किया गया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो0 संजीव कुमार ने कहा कि वैदिक काल की गुरुकुल परम्परा से महात्मा बुद्ध के आत्मदीपो भव के सूत्र से गतिमान और आज़ादी के बाद पण्डित मदन मोहन मालवीय और अल्लामा शिब्ली नोमानी जैसे शैक्षिक चेतना के प्रहरियों से गुजरने वाली शिक्षा अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के कलेवर में जीर्णाेद्धार के साथ ही राष्ट्र निर्माता शिक्षकों और राष्ट्र के भविष्य युवा पीढ़ी के पारस्परिक सम्बन्धों की प्रगतिशील अवस्था से गुजर रही है। एक कर्तव्यशील गुरु ही एक कर्तव्यशील छात्र के माध्यम से एक कर्तव्यशील नागरिक का निर्माण कर विकसित और विश्वगुरु भारत की संकल्पना को साकार कर सकता है । प्रो. जयप्रकाश सैनी ने मानव कल्याण में शिक्षा के महत्व को उजागर करते हुए प्राचीन भारत की गुरुकुल प्रणाली में निहित आदर्श गुरु-शिष्य संबंधों की पुनर्स्थापना पर बल दिया।
समारोह के अन्त में प्राचार्य प्रो. अफ़सर अली ने आये हुए सभी आगंतुकों और सारस्वत अतिथियों तथा आयोजक मण्डल के प्रति आभार व्यक्त करते हुए समारोह के समापन की घोषणा की।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार

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