दुद्धी तहसीलदार और ओबरा एसडीएम के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस

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शासन के निर्देश पर मंडलायुक्त के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम कर रही जांच

सोनभद्र (सृष्टि मीडिया)। सदर तहसील के हवालात में बंद बैंक बकायेदार की संदिग्ध हालात में मौत के मामले में अफसरों पर कार्रवाई हो गई। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर दुद्धी तहसीलदार और ओबरा एसडीएम के खिलाफ राबर्ट्सगंज कोतवाली में गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ है। घटना 19 मई, 2022 की है। तब दोनों इसी पद पर सदर तहसील में तैनात थे। इस मामले में शासन के निर्देश पर मंडलायुक्त के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम जांच कर रही है। जांच के दौरान ही मुकदमा दर्ज होने के बाद अब विभागीय कार्रवाई की तलवार भी लटकने लगी है।

हवालात में ही बिगड़ गई थी तबियत

धर्मशाला चौक पर इलेक्ट्रॉनिक सामान की दुकान चलाने वाले सुधाकर दुबे को यूबीआई से ऋण के दस लाख रुपये न चुकाने पर 12 मई, 2022 को पकड़कर सदर तहसील के राजस्व हवालात में डाल दिया गया था। इसी दौरान 19 मई को सुधाकर दुबे की तबीयत बिगड़ गई। उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां से बीएचयू रेफर कर दिया गया। वहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। डीएम ने एडीएम न्यायिक भानु प्रताप यादव से घटना की मजिस्ट्रियल जांच कराई। एडीएम ने 12 अक्तूबर को सौंपी अपनी जांच रिपोर्ट में तत्कालीन तहसीलदार बृजेश कुमार वर्मा को लापरवाही का दोषी पाया गया। तहसीलदार ने हिरासत में बकायेदार की तबीयत बिगड़ने जैसी गंभीर घटना के बावजूद अस्पताल जाना जरूरी नहीं समझा। अलबत्ता कागजी प्रक्रिया कर बंदी को अस्पताल के लिए मुक्त कर दिया। किसी राजस्व कर्मी की भी ड्यूटी नहीं लगाई गई। यही नहीं, मृत्यु के बाद पोस्टमार्टम कराए बिना परिजनों को शव अंतिम संस्कार के लिए सौंप दिया गया। इस बारे में तहसीलदार ने उच्चाधिकारियों को कोई सूचना भी नहीं दी।

अफसरों पर ये रहे आरोप

तत्कालीन एसडीएम राजेश कुमार सिंह ने भी इस दिशा में कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया और न ही डीएम को सूचना दी। एडीएम की जांच रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन तहसीलदार बृजेश कुमार वर्मा और एसडीएम राजेश सिंह को बंदी की मौत के लिए जिम्मेदार मानते हुए गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया है। राबर्ट्सगंज कोतवाल बालमुकुंद मिश्र ने बताया कि सदर तहसीलदार सुनील कुमार की तहरीर पर शनिवार की रात केस दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी गई है। उच्चाधिकारियों को इससे अवगत करा दिया गया है। पीड़ित पक्ष का कहना था कि मई की भीषण गर्मी में बंदी को हवालात में रखा गया। उसे पंखा, पानी, उपचार जैसी जरूरी सुविधा भी उपलब्ध नहीं कराई गई। बंदी को मानसिक और शारीरिक यातनाएं दी गई। तपती दोपहरी में इस स्थिति के कारण हवालात में बंदी की मौत हुई।

मंडलायुक्त ने दिए जांच के निर्देश

राजस्व हवालात में संदिग्ध हालात में बंदी सुधाकर दुबे की मौत के मामले में शासन स्तर से भी उच्चस्तरीय जांच कराई जा रही है। पिछले दिनों विंध्याचल मंडल के आयुक्त के नेतृत्व में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। मंडलायुक्त मुथुकुमार स्वामी, मिजार्पुर डीएम दिव्या मित्तल और सोनभद्र एसपी डॉ. यशवीर सिंह ने शनिवार को जिले में पहुंचकर छानबीन की थी। घटना के संबंध में तहसील के अधिकारियों-कर्मचारियों से जानकारी ली। किन्हीं कारणों से सुधाकर दुबे के पुत्र नीरज दुबे व अन्य परिजन नहीं पहुंच सके थे। सोमवार को उनके बयान दर्ज होने की उम्मीद है।

हाईकोर्ट की सख्ती पर कार्रवाई तेज

इस मामले में मृतक के पुत्र नीरज दुबे की ओर से हाईकोर्ट में वाद दायर किया गया है। शुक्रवार को इसकी सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केसरवानी और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी ने अपर मुख्य सचिव राजस्व को दोषी अफसरों पर हुई कार्रवाई के संबंध में एक सप्ताह के अंदर शपथ पत्र प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। कोर्ट के सख्त रुख अपनाने के बाद तीन माह पुरानी जांच रिपोर्ट के आधार पर आननफानन मामले में तत्कालीन एसडीएम व तहसीलदार पर केस दर्ज कराया गया है।

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