आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के प्रोफेसर विजेंद्र सिंह एवं प्रसार निदेशक डॉ.एपी राव के निर्देशन में संचालित कृषि विज्ञान केंद्र कोटवा, पर दो दिवसीय “प्राकृतिक खेती तकनीकी पर कृषक प्रशिक्षण“ का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम 27 से लेकर 28 दिसंबर तक चला।
राज्य सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लिए कई योजनाएं चला रही है, ताकि किसानों को आर्थिक लाभ मिल सके। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के होने का मुख्य कारण फसलों में कीटनाशक दवा और रासायनिक खादों का अंधाधुंध प्रयोग करना है। प्राकृतिक खेती करने से फसलों की लागत कम होगी और उनके जहां कृषि उत्पाद महंगे बिकने से उनकी आमदनी भी ज्यादा होगी।
केंद्र के प्रभारी अधिकारी एवं कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. डीके सिंह ने किसानों से प्राकृतिक खेती अपनाने को कहा। प्रशिक्षण के नोडल अधिकारी डॉ.विजय कुमार विमल ने तकनीकी सत्र के दौरान बताया कि प्राकृतिक खेती कृषि की प्राचीन पद्धति है, प्राकृतिक खेती में रासायनिक कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता है। एक देसी गाय से 30 एकड़ की खेती की जा सकती है। वरिष्ठ मृदा वैज्ञानिक डॉ.रणधीर नायक ने कृषि विज्ञान केंद्र पर हो रहे प्राकृतिक खेती का भ्रमण कराकर बीजामृत एवं ब्रह्मास्त्र बनाने की विस्तृत जानकारी दी। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.विनय कुमार सिंह ने पशुपालन की जानकारी दी। शस्य एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह ने जीवामृत बनाने की विधि पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रुद्र प्रताप सिंह ने किसानों को नीमास्त्र बनाने की विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर प्रगतिशील कृषक महेंद्र प्रताप सिंह, अतुल प्रताप सिंह, प्रेमचंद, यशपाल, प्रेमलता, सुनीता के साथ 40 कृषक एवं महिला कृषक को प्रशिक्षित किया गया।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार