रणवेंद्र प्रताप सिंह
(सृष्टि मीडिया)। संगीत के साथ योग का हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा जुड़ा हुआ है। संगीत से मन और योग से तन शुद्ध और स्वस्थ रहता है। या यूँ कहे कि हमें स्वस्थ रखने के साथ-साथ खुश रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संगीत के सीखने की कला ही नहीं बल्कि यह साधना हैं। इसलिए संगीत का दूसरा नाम प्रेम और तपस्या कहा गया है। इसी प्रकार योग करने की चीज नहीं यह भी एक प्रकार का साधना है। नियमित संगीत के अभ्यास से कलाकार या साधक की कला निखरती है। उसी प्रकार योग करने से अपनी स्वास्थ्य को समुचित ढंग से स्वस्थ रख सकते हैं।
मेरे कहने का यह तात्पर्य नहीं कि समस्त मानव को संगीत सीखना ही चाहिए बल्कि संगीत सुनने, समझने, देखने से आप लाभांवित होंगे। परंतु योग को देखने, सुनने, समझने से नहीं बल्कि उसे करने से आप के स्वास्थ्य पर उचित प्रभाव पड़ेगा और साथ ही साथ मानवीय जीवन में अनेक प्रकार की वृद्धि होगी। जिस प्रकार तन की सफाई साबुन से, कपड़े की सफाई ब्रश से और घर तथा विद्यालय की सफाई झाड़ू से की जाती है उसी प्रकार हम अपने मन-मस्तिक को शुद्ध करने के लिए संगीत स्वरों की सहायता से संगीत को सुनने से देखने से तथा करने के माध्यम से शुद्धिकरण कर सकते हैं तथा आत्मचिंतन में बदलाव ला सकते है। लगभग एक दृष्टिकोण संगीत तथा योग साधक से समान साधक होता है। संगीत और योग में एक छोटी सी अंतर आप लोगो के समक्ष।
संगीत अंतराल :
- संगीत स्वयं ब्रह्म नाद है।
- संगीत लय का बहुत अत्यधिक महत्व होता है
- संगीत को प्रकृति के बीच करना अति लाभप्रद माना जाता है।
- संगीत एक प्रकार की साधना है।
- संगीत का अभ्यास लगभग ध्यान की मुद्रा में किया जाता है।
- संगीत की साधना का एक आधार से समय प्रात: काल माना जाता है।
- संगीत योग के बिना अधूरा है।
- संगीत में ॐ का उच्चारण सर्वव्यापी है।
योग अंतराल:
योग, ब्रह्म तक पहुंचने का सोपान है।
नियमत: योग को भी एक लय में किया जाता है।
योग को भी प्रकृति के बीच करना अति लाभदायक होता है।
कहा जाए तो योग भी प्रकार का साधना ही है।
योग से शरीर का स्वास्थ्य कायम रहता है।
योग का अभ्यास भी ध्यान मुद्रा में ही किया जाता है।
योगाभ्यास का एक मूल्य समय प्रात: काल होता है।
योगाभ्यास में भी ॐ का एक विशिष्ट स्थान है।
कुल मिलाकर अगर स्पष्ट रूप से कहा जाए तो संगीत और योग एक दूसरे के पूरक है।
सुने संगीत, रहे आनंदित, करे योग, रहे निरोग।।
संगीत और योग को विस्तृत रूप से जानने के लिए आप संगीत, शास्त्रज्ञ एवं योग शास्त्रज्ञ द्वारा लिखे गए ग्रंथों में अखबारों में पत्रिकाओं में विस्तृत जानकारी दी गई है। संगीत और योग के विधार्थी और साधक 21 जून यानी अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को संगीत व योग को एक आधारशिला मानकर अपने आप से एक संकल्प लें कि अपने कर्मों को अनुशासन पूर्वक साधना में तब्दील होकर अपने सपनों को साकार करेंगे।
लेखक युवा संगीत साधक हैं और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में अध्ययनरत हैं।