आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। मानव जनहित सेवा संस्थान की ओर से हरवंशपुर स्थित चकगोरया में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा दूसरे दिन भी जारी रही। कथा शुभांरभ के पूर्व आचार्य हरेन्द्र पाठक ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ व्यास पूजनोत्सव कर पूरे वातावरण को भक्तिमय कर दिया।
बालव्यास कौशल किशोर ने भागवत महात्म पर प्रकाश डालते हुए सौनकादि ऋषियों ने इस कलिकाल में ब्रह्मा से हजार वर्ष तक नाम संकीर्तन तथा प्रभु कथा का परमानंद लेने हेतु स्थान पर चर्चा की चर्चा किया। प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने चक्रसुर्दशन चलाया जो सीतापुर के पास नैमिशारण्य में जाकर गिरा। जहां पर 88 हजार ऋषियों ने श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण किया। नैमिश का अर्थ चक्रसुर्दशन तथा अरण्य का अर्थ जंगल जिससे उस स्थान का नाम नैमिशारण्य पड़ा। शायद ही कोई सनातन धर्मालम्बी है जो इस स्थान को न जानता हो। यह कथा सात दिनों की ही अवधि में सुनाई जाती है, इसके पीछे का रहस्य यह है कि व्यक्ति का जन्म व मरण इन्हीं सात दिनों के अंदर ही होता है। चाहे वह सप्ताह का जो कोई भी दिन हो। कथा वाचक कौशल किशोर ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा अगर कोई मनुष्य नियमपूर्वक सातों दिन तक श्रवण करें तो उसे मोक्ष प्राप्त होता है। गोकर्ण जी ने अपने भाई धुंधकारी की आत्मकल्याण के लिए श्रीमद्भागवत कथा कराई। धुंधकारी वायु के रूप में एक बांस में बैठ गया। उन्होंने का कि प्रतिदिन कथा श्रवण की, एक-एक दिन उस बांस की एक-एक गांठ टूट जाया करती थी। सातवें दिन सातों गांठ टूट गई और धुंधकारी को मोक्ष प्राप्त हुआ। संचालन राय अनूप कुमार श्रीवास्तव ने किया।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार