न्यूनतम पारा भी एक डिग्री चढ़ा, मुश्किल हुई सेहत की सुरक्षा

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। उफ! ऐसी गर्मी कि सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। उमस के साथ पसीने से पूरा शरीर तर-ब-तर और सिर भारी हो रहा है। भोजन करने की इच्छा समाप्त होने से लोग पेय पदार्थों को पसंद करने लगे हैं। कारण कि हर समय लग रहा है कि अब उल्टी हो जाएगी। अधिकतम तापमान तो दो दिन से 44 डिग्री सेल्सियिस चल ही रहा था कि बुधवार को न्यूनतम पारा भी एक डिग्री चढ़कर 30 पहुंच गया। ऐसे में सेहत की सुरक्षा भी मुश्किल हो गई है। घर से बाहर निकलने में हिम्मत जवाब दे रही है और राहत के सभी उपाय फेल हो जा रहे हैं। भीषण गर्मी से हर कोई बेहाल है और छांव की तलाश में इंसान के साथ पशु-पक्षी भी दिख रहे हैं। दिन चढ़ने के साथ चढ़ता पारा बेचौनी का सबब बनता जा रहा है। मंगलवार को अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस, तो न्यूनतम 29 रहा, जबकि बुधवार को अधिकतम उतना ही और न्यूनतम 30 डिग्री पहुंच गया। नतीजा कमरे की छत से लेकर दीवारें आग उगलने लगीं, सड़क अंगारे की तरह दहक रही थी। मानव से लेकर पशु-पक्षियों की दशा देख यही लगा कि मौसम के तल्ख तेवर के आगे हर कोई लाचार हो गया है। वर्षों बाद गर्मी का ऐसा रूप देखने को मिल रहा है कि घर से बाहर निकलने पर सिर से लेकर पैर तक मेें जलन महसूस हो रही है।
आसमान से बरस रही आग से सड़कों पर कर्फ्यू जैसी स्थिति दिखाई दिख रही है। पिछले पांच दिन से तापमान इतना बढ़ गया कि दिन में जन जीवन प्रभावित पर साफ असर दिख रहा। भयंकर गर्मी का असर बाजार पर भी साफ दिखाई दे रहा है। उमस और गर्मी के चलते बाजारों में भी रौनक कम दिखाई दे रही है। हालात ऐसे हैं पशु-पक्षी भी परेशान हो रहे हैं। सुबह से लेकर शाम तक उछल-कूद करने वाले बंदरों की दशा यह कि वह भी कहीं छांव में छिप गए हैं। घर व प्रतिष्ठान में गर्मी से बचाव का उपाय फेल हो गए हैं।
रिपोर्ट-सुबास लाल

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