लालगंज आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। स्थानीय विकास खण्ड के मेहरो कलां से शारदा सहायक खण्ड 23 माइनर को लघु सिंचाई के लिए बसही तक बनाया गया ताकि लोगों की सिंचाई का काम आसानी से हो सके। इसके निर्माण को लगभग 43 साल गुजर गए, लेकिन आज तक टेल तक पानी नहीं आया। बिना सीजन जब किसानों को पानी की जरूरत नहीं होती तो अक्सर इसमें इतना पानी खोल दिया जाता है कि लोगों की फसल जलमग्न होकर खराब हो जाती है। गांव के लोगों ने बताया कि जिस समय इस माइनर का निर्माण हो रहा था, उस समय लोगों के बीच यह उम्मीद जगी थी कि अब हम लोगों की सिंचाई की समस्या पूरी तरह समाप्त हो जायेगी और फसल उत्पादन बढ़ जायेगा। लेकिन उनका यह सपना साकार नहीं हो सका। अगर कहा जाए कि यह माइनर सफेद हाथी बनकर रह गया है तो संभवतः अतिशयोक्ति नहीं होगी।
स्थानीय काश्तकार आलमगीर, मोहम्मद तारिक, अबू बकर, अबुल कलाम, राधेश्याम, इश्तेयाक अहमद, शाहनवाज आदि के मुताबिक इसके निर्माण से काश्तकारों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। यदि इसमें समय-समय पर पानी आता रहता तो सारे कष्ट दूर हो जाते, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है और यह माइनर सफेद हाथी साबित हो रहा है। माइनर के आसपास के किसान अपने निजी पंपिंग सेट और डीजल इंजन से खेत की सिंचाई करते हैं, जबकि माइनर उनके लिए किसी काम का साबित नहीं हो पा रहा है। हां इतना अवश्य होता है कि गेहूं की बुआई या धान की रोपाई हो जाने के बाद कभी कभी असमय जब उन्हें पानी की जरूरत नहीं होती तब इसमें इतना पानी आ जाता है। फसल को बचाने के लिए काश्तकारों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है।
गांव के लोगों ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में कई बार मांग की कि इस अधूरे माइनर को कहीं ले जाकर मिला दिया जाए लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। बसही, अहिरौली, गुलरिया आदि गांव के काश्तकारों ने मांग की है कि उक्त माइनर में टेल तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय ताकि लोगों को सिंचाई का लाभ प्राप्त हो सके तथा इसे कहीं ले जाकर मिला दिया जाए ताकि जब कभी पानी आए तो वह ओवर फ्लो होकर फसल को नुकसान न पहुंचा सके।
रिपोर्ट-मकसूद अहमद