पत्रकार की जमीन पर कब्जा कर रहे लोगों का मन बढ़ा रहे मारुफपुर चौकी इंचार्ज

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मामला एसडीएम के यहाँ विचाराधीन, मारुफपुर चौकी ने कब्जाधारियों को दे दी दीवाल उठाने की इजाजत

चंदौली (सृष्टि मीडिया)। आबादी की जमीन पर फर्जी कब्जे को लेकर यूपी सरकार जहाँ गम्भीर है वहीं पुलिस प्रशासन के कुछ कर्मचारी ऐसे मामलों को ‘धनउगाही का जरिया’ बना रहे हैं। ताजा मामला बलुआ थाना से सम्बद्ध के मारुफपुर चौकी का है। तीन वर्ष से चले आ रहे विवाद में मारुफपुर चौकी इंचार्ज ने अंतत: ‘धनउगाही’ का रास्ता बना ही लिया। प्रथम पक्ष यानी पत्रकार ने इस मामले में एसडीएम के यहाँ अपनी शिकायत दी है। वहीं बीते सात अगस्त, 2022 को भी चौकी पर इसकी शिकायत की गई थी लेकिन इंचार्ज ने कार्रवाई करने की बजाए विपक्षियों को ‘मनबढ़’ बनाने वाला आदेश जारी कर दिया।
जानकारी के अनुसार, श्रमजीवी पत्रकार यूनियन उत्तर प्रदेश (WJUUP) के वाराणसी अध्यक्ष अमन विश्वकर्मा का पुश्तैनी मकान जो अब गिर चुका है (जमीन लगभग तीन बिस्वा) बलुआ थाना से सम्बद्ध मारुफपुर चौकी अंतर्गत है। उक्त मकान पर दो मकान बाद के पड़ोसी जयनाथ विश्वकर्मा और उसे बेटे डब्बू ने फर्जी तरीके से तीन वर्ष पहले गाँव के ही एक मुस्लिम परिवार को बेच दिया।

आबादी के मामले को लेकर लापरवाही ठीक नहीं

पड़ोसियों और रिश्तेदारों से जमीन बिकने और उस पर काम लगने जानकारी मिलने पर जब जमीन के मालिक मौके पर पहुँचे तो विचार-विमर्श कर मुस्लिम परिवार ने काम रोकवा दिया था। लेकिन तीन वर्ष के बाद मौका देखकर बीते 29 दिसम्बर को उक्त जमीन पर मुस्लिम परिवार ने दोबारा काम शुरू करवा दिया। पत्रकार अमन विश्वकर्मा और उसके चाचा ने 112 नम्बर की सहायता से काम फिर रोकवा दिया और एसडीएम के यहाँ एक शिकायत डाल दी ताकि शांति तरीके से न्याय मिल सके।

चौकी इंचार्ज ने विपक्षियों को दिया ‘गुरु मंत्र’

दूसरी तरफ, बीते 23 जनवरी को विपक्षी मुस्लिम वसीम ने चौकी पर ‘दलाली’ करने वाले लोगों के साथ मिलकर इंचार्ज से मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार मामले में कुछ ‘लेन-देन’ भी हुआ है। चौकी इंचार्ज से ‘गुरु मंत्र’ लेकर विपक्षियों ने जमीन पर काम फिर से शुरू करवा दिया। चौकी इंचार्ज ने एसडीएम के यहाँ मामला विचाराधीन रहने के बावजूद मौके की यथास्थिति को बिगाड़ दिया। शर्मनाक यह कि इस मामले पर जब पत्रकार ने चौकी इंचार्ज से बात की तो उन्होंने राजस्व का मामला बताकर हाथ खड़ा कर दिया।

महिला ने खुद को बताया राजस्व अधिकारी तब भी नहीं की कार्रवाई

बीते दो अगस्त, 2022 को जब पत्रकार ने अपनी जमीन पर काम शुरू करवाया तो पाँच दिनों तक विपक्षी फिर मौके की तलाश में लगे रहे। छह अगस्त, 2022 की देर शाम को जयनाथ की बेटी कुसुम ने जमीन पर खड़ी पूरी दीवाल को गिरा दिया। सात अगस्त, 2023 की सुबह खुद को राजस्व अधिकारी बताकर मजदूरों को कानूनी कार्रवाई की धमकी देकर काम से भगा दिया। जबकि उसी दिन इसकी लिखित शिकायत चौकी इंचार्ज से की गई बावजूद इसके उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। उल्टे चौकी इंचार्ज पत्रकार और उनके परिवार से पहचान पत्र माँगने लगे।

चौकी इंचार्ज को नहीं मालूम है आबादी का नियम

अभी तक चले आ रहे मामले में यही बात सामने आ रही है कि शायद चौकी इंचार्ज दीपक पाल को आबादी का नियम नहीं मालूम है? या फिर वह कुछ ‘फायदे’ के लिए विपक्षियों पर कार्रवाई नहीं कर रहे थे। आबादी के नियम के अनुसार, जमीन और कब्जेदार का मकान या जमीन आपस में सटा होना चाहिए। जबकि विपक्षी जयनाथ का परिवार दो मकान बाद रहता है।

उठ रहे कई सवाल

कब्जे की बात की जाए तो उक्त जमीन पर जयनाथ ने आज तक कोई निर्माण नहीं करवाया है। अगर जमीन जयनाथ की है तो उन्हें कानून का सहारा लेना चाहिए था। पत्रकार ने जब इसकी शिकायत एसडीएम सकलडीहा से की तो जयनाथ का परिवार ने पत्रकार द्वारा उठाए गए दीवाल को क्यों गिराया गया? जयनाथ की बेटी ने खुद को राजस्व अधिकारी क्यों बताया?

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