सच्चे अर्थों में भारत के निर्माता है मालवीय

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। ब्राह्मण समाज कल्याण के तत्वावधान में महामना पण्डित मदन मोहन मालवीय जी की जयन्ती रविवार को सिधारी स्थित एक मैरेज हाल में मनायी गयी। कार्यक्रम का शुभारम्भ मालवीय जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
मुख्य अतिथि डा.आरबी त्रिपाठी ने कहा कि मालवीय जी एक महान शिक्षाविद् एवं युग द्रष्टा थे। वह शिक्षा को मानव विकास का मूल मानते थे, लेकिन उनकी शिक्षा की परिकल्पना मात्र डिग्री प्राप्त करने तक नहीं बल्कि सर्वांगीण विकास के व्यापक उद्देश्य के निर्माण हेतु थी। ब्राह्मण समाज कल्याण परिषद के जिलाध्यक्ष ब्रजेश नन्दन पाण्डेय ने कहा कि मालवीय जी संस्कारों के पक्षधर महा मानव थे। अखिलेश मिश्र गुड्डू ने कहा कि मालवीय जी को प्रथम एवं अन्तिम बार महामना की उपाधि प्राप्त हुई। उन्होंने काशी नरेश से भूमि प्राप्त कर दुनिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय बनवाया जिसमें प्राचीन वेद शास्त्र एवं कर्म काण्ड की शिक्षा के साथ-साथ अर्वाचीन ज्ञान विज्ञान की शिक्षा की व्यवस्था किया। परिषद के महामंत्री मनोज कुमार त्रिपाठी ने कहा कि मालवीय जी सच्चे अर्थों में भारत निर्माता तथा देश की प्रगति एवं उत्थान के लिए सर्वस्व त्याग एवं समर्पण की भावना के पोषक थे। इस मौके पर प्रियांशी पाण्डेय, रोशन पाण्डेय, डा.राज कुमार पाण्डेय, अभिषेक उपाध्याय, विश्वदेव उपाध्याय, सतीश कुमार मिश्रा को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विष्णु दत्त मिश्र, ओम विजय तिवारी, राहुल तिवारी, दिनेश तिवारी, राकेश मणि त्रिपाठी, पियूष त्रिपाठी, जगदम्बा प्रसाद पाण्डेय, हरिवंश मिश्रा, उपेंद्र दत्त शुक्ला, सिद्धेश्वर पाण्डेय, माहेश्वरी कांत पाण्डेय आदि उपस्थित थे।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार

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