ब्राह्मण प्रमुख राजनीतिक दलों में उपेक्षित: माधव

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। प्राचीन समय से ही बाह्मण राजनीति की धूरी में रहा है। आजादी के बाद से चाहे जो भी सरकारें रही बाह्मणों का सम्मान होता रहा है ब्राह्मणों ने अपनी प्रतिभा से उच्च राजनीतिक कीर्तिमान स्थापित किया लेकिन वर्तमान राजनीतिक परिदृष्य में ब्राह्मणों की प्रतिभा का लोप किया जा रहा है उक्त बातें अक्षय परशुराम सेना के राष्ट्रीय संयोजक माधव कृष्ण त्रिपाठी ने कही।
अक्षय परशुराम सेना के राष्ट्रीय संयोजक माधव कृष्ण त्रिपाठी ने पत्र प्रतिनिधियों से वार्ता में कहा कि ब्राह्मणों की अधिक संख्या होने के बाद भी प्रमुख राजनीतिक दलों में उचित स्थान नहीं मिल रहा है। जिसको देखते हुए ब्राह्मणों के हित की लड़ाई लड़ने के लिए अक्षय परशुराम सेना का कठन किया गया है। यह एक गैर राजनीतिक संगठन के तौर पर कार्य करेगा। इसका मुख्य उदेश्य बाह्मणों के साथ हो रहे जुर्म जास्ती व अन्याय के खिलाफ संघर्ष करना है तथा ब्राह्मणों को उचित न्याय दिलाना है। जिस प्रकार से भगवान विष्णु जी के छठवें अवतार भगवान परशुराम जी ने अन्याय व अत्याचार के खिलाफ दुष्ठो का संहार कर समाज की रक्षा करते हुए अच्छे समाज की स्थापना किये उसी प्रकार अक्ष्य परशुराम सेना भी उनके मार्ग दर्शन पर चलते हुए भगवान परशुराम के विचारों और संदेशों को जन-जन तक ले जाने का कार्य करेगी। जो भी भगवान परशुराम जी के विचारों में आस्था व्यक्त करेगा इस संगठन का हिस्सा होगा।
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आउट सोर्सिंग के नाम पर रोजगार देने का छलावा
आजमगढ़। माधव कृष्ण त्रिपाठी ने बताया कि वर्तमान समय मेें आउठ सोसिंग (ठेकाप्रथा) के नाम पर जो नौकरियां दी जा रही है उससे नौजवानों का शोषण, प्रतिभा का हनन और भ्रष्टाचार का आमंत्रण का माध्यम आउट सोसिंग प्रथा बनती जा रही है।
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ठेके, पट्टे में सर्वाधिक गुजरात की ही कम्पनियां
आजमगढ़। माधव कृष्ण त्रिपाठी ने कहा कि वर्तमान समय में ठेेके पट्टे के कार्यो में सर्वाधिक प्रतिनिधित्व यदि किसी का माना जाय तो वह गुजरात की कम्पनियों का है। जैसे आजमगढ़ का ही विश्वविद्यालय को गुजरात की कम्पनी बना रही है। प्रदेश में कानून व्यवस्था का राज है लेकिन सरकारी कार्यालयों में आर्थिक भ्रष्टाचार बढ़ा है और प्रदेश में वर्ग विशेष के लिए किसी प्रकार का अंकुश नहीं है जो चिन्ताजनक है। और अब हम सब जिस विचारों को लेकर राजनीतिक दल व सरकार का समर्थन करते रहे अब वह पं. दीनदयान उपाध्याय व श्यामाप्रसाद मुखर्जी के विचारों वाला दल मेरे समझ से नहीं है कैडर वेस कार्यकर्ताओं की उपेक्षा होती जा रही है। इन सारे घटना क्रमों पर इस देश व प्रदेश में जिनकी संख्या बहुत अधिक है ऐसे बौद्धिक वर्ग के लोगों को अपने हितों को ध्यान मे रखते हुए चिन्तन व मनन करने की आवश्यकता है।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव

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