आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। जनपद में चैत्र नवरात्र के पहले दिन श्रद्धालुओं ने मां शैल पुत्री की पूजा अर्चना की। शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों में भोर से देवी पूजन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। शहर के चौक स्थित दक्षिण मुखी देवी मंदिर में सुबह से महिलाओं समेत भारी संख्या में श्रद्धालुओं का रेला लगा रहा। श्रद्धालुओं ने माता रानी को नारियल चुनरी चढ़ाकर मन्नत मांगी और पूजा अर्चना की।
नवरात्रि के प्रथम दिन शहर के चौक स्थित दक्षिणमुखी देवी मंदिर, रैदोपुर स्थित दुर्गा मंदिर, कालीचौरा, बड़ादेव, रामायन मार्केट आदि जगहों पर स्थित मंदिरों में श्रद्धालुओं ने पूजन अर्चन किया। मंदिरों में भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने पर्याप्त पुलिस बल की व्यवस्था की थी। एक दिन पूर्व शाम से ही नवरात्रि की पूजन सामग्री लोग खरीदते नजर आए। बुधवार को सवेरे ही कलश स्थापना कर कर पूजा अर्चना की और मंदिर में जाकर नारियल चुनरी चढ़ाया। विद्वान पंडितों ने बताया कि नवरात्र हिंदू धर्म का एक खास और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। मान्यता है कि जगत जननी को इनका भोग लगाने से मनोकामना की पूर्ति होती है। साथ ही बुद्धि व धन-संपदा की भी वृद्धि होती है। नवरात्र के पहले दिन मां के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होती है। इस दिन मां को गाय के घी से भोग लगाना चाहिए। इससे आरोग्य लाभ की प्राप्ति होती है। नवरात्र के दूसरे दिन मां के द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। इस दिन जगत जननी को शक्कर का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से चिरायु का वरदान मिलता है।
नवरात्र के तीसरे दिन मां के तृतीय स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इस दिन माता को दूध का भोग चढ़ाएं और उसे जरूरतमंद को दान कर देना चाहिए। ऐसा करने से ऐश्वर्य की वृद्धि होती है। नवरात्र के चौथे दिन मां के चतुर्थ स्वरूप कुष्मांडा की पूजा की जाती है। इस दिन माता को मालपुआ का नैवेध अर्पण करना चाहिए और उसे जरूरतमंद को दान कर देना चाहिए। ऐसा करने से मनोबल बढ़ता है। नवरात्र के पांचवे दिन मां के पंचम स्वरूप स्कंदमाता की पूजा होती है। इस दिन जगत जननी को केले का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से बुद्धि का विकास होता है। नवरात्र के छठवें दिन मां के षष्टम स्वरूप कात्यायनी की पूजा होती है। इस दिन मां भवानी को शहद का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है। नवरात्र के सातवें दिन मां के सप्तम स्वरूप कालरात्रि की पूजा होती है। इस दिन मां भवानी को गुड़ से निर्मित भोग अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से शोक से मुक्ति मिलती है। नवरात्र के आठवें दिन मां के अष्टम स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन माता को नारियल का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। नवरात्र के नौवें दिन मां के नवम् स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस दिन माता को घर में बने हुए हलवा-पूड़ी और खीर का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य के जीवन में सुख-शांति मिलती है।
रानी की सराय प्रतिनिधि के अनुसार नवरात्र के पहले दिन कस्बे के रानी पोखरा स्थित दुर्गा मंदिर में प्रातः ही श्रद्वालुओं की भीड़ रही। यहां प्रतिदिन देर शाम महिलाएं भक्ति गीत पचरा गाती है जो पूरे नवरात्र भर चलेगा। अवंतिकापुरी स्थित मंदिर में भी लोगो ने पूजन अर्चन किया। देवी मंदिरों के साथ घरों में भी कलश स्थापना के साथ पूजन किये गये। पूजन के साथ ही सुख समृद्धि की कामना की। मंदिरों में घंटे घडियाल गूंजते रहे। नवरात्र मे सूदूर देवी मंदिरों मे दर्शन के लिए भी जत्था रवाना होता रहा।
अतरौलिया प्रतिनिधि के अनुसार स्थानीय नगर पंचायत के प्रसिद्ध दुर्गा मंदिर व ग्रामीण मंदिरों में चैत्र नवरात्रि के पहले दिन बुधवार सुबह से ही माता के मंदिरों के बाहर भक्तों का जन सैलाब उमड़ पड़ा। मंदिर परिसर माता के जयकारों से गूंज उठे। नवरात्रि के अवसर पर प्रमुख मंदिरों तथा धार्मिक स्थल पर भव्य सजावट की गई थी। वही मंदिर परिसर के बाहर फूल माला तथा फल की दुकानें सजी हुई थी। नवरात्रि का पहला दिन होने के प्रमुख मंदिरों पर पुलिस बल भी तैनात रहा।
फरिहां प्रतिनिधि के अनुसार फरिहा चौक सहित क्षेत्र के ऊम्मा के पूरा गांव में स्थित माता दुर्गा के मन्दिर में सुबह से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। पहले दिन माता शैलपुत्री की भक्तों ने आराधना किया। लोगों ने शुभ मुहूर्त देखकर अपने घरों में कलश की स्थापना किया। ऐसी मान्यता है कि माता शैलपुत्री नवदुर्गाओं में से एक है और भाग्य और समृद्धि की प्रदाता है। भक्त उन्हें मां प्रकृति के रूप में मानते हैं और उनके आध्यात्मिक जागरण के लिए प्रार्थना करते हैं। इसकी अतिरिक्त देवी सभी भाग्य के प्रदाता चंद्रमा को नियंत्रित करती हैं ऐसा माना जाता है कि इनकी आराधना करने से चंद्रमा का कोई भी बुरा प्रभाव दूर हो सकता है।
लालगंज प्रतिनिधि के अनुसार नवरात्रि के प्रथम दिन शुभंकरी मां काली तिलखरा पर भक्तों ने पूजा अर्चना के बाद मां का जयकारा लगाया। ओम प्रकाश सिंह पूर्व प्रधानाचार्य एवं पूर्व प्रधान धनंजय सिंह ने कहा कि मां की आराधना से मन की मुराद पूरी होती है। मां के दरबार में जो भी हाजिरी लगाता है उसको अभीष्ट फल अवश्य मिलता है। मां काली सृष्टि की आदि देवी हैं। उन्हीं से सृष्टि की उत्पत्ति माना जाता है। इस अवसर पर अरुण सिंह उर्फ पप्पू सिंह, राहुल सिंह, मुन्ना सिंह, सोनू कश्यप, विवेक पाण्डेय, हरिओम सिंह, प्रिंस सिंह, बब्बू सिंह, गोलू कश्यप, राकेश कश्यप, अवधेश कश्यप, आदर्श, अमन सिंह, नमन सिंह, सूरज कनौजिया आदि उपस्थित थे।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार