रानीकीसराय आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। स्थानीय क्षेत्र के साकीपुर में राम जानकी मंदिर प्रांगण में चल रहे श्रीराम कथा मंे विद्याधर दास ने श्रीराम और भरत मिलाप के प्रसंग में कहा कि भरत के जैसे भाई प्रेम की अभिलाषा कहीं नहीं मिल सकती। यह भरत का बड़े भाई के प्रति निश्छल प्रेम ही था कि भरत राम के वापस न आने पर उनके खड़ाऊं को ही आदर्श रुप में देखा।
संगीतमयी श्रीराम कथा मंे बुधवार को महराज ने कहा कि भरत तीनो माताओं और गुरु के साथ बन मंे राम को वापस लाने के लिए जाते हैं, वह भी प्रण के साथ। बन में जब जान गये इसी रास्ते भैया राम नंगे पांव गये हैं तो वह भी अश्रुओं के बीच नंगे पांव ही चल दिये। इधर दूर से सेना के साथ भरत को आते देख लक्ष्मण दौड़ कर श्रीराम के पास गये और भरत के विरुद्ध लड़ने की तैयारी कर दी। राम समझाते हैं बगैर विश्वास किये कोई निर्णय न ले लेकिन स्वभाव से क्रोधित और राम के प्रति प्रेम में धनुष उठा लेते हैं। भविष्यवाणी ने उन्हें रोक दिया। इधर सामने आते ही श्रीराम और भरत के गले मिलने के निश्छल प्रेम देख गुरु और ऋषि भी अश्रु बहाते हैं। भरत के राम के प्रति प्रेम को देख लक्ष्मण भी अफसोस जताते हैं। यहीं पर राम के बन से वापस ले जाने राजा दशरथ के प्राण त्याग सुन राम शोकाकुल हो जाते हैं। बाद में पिता बचन पालन की जब राम दुहाई देते है तो भरत राजा के सिंघासन पर उनके खड़ाऊं को ही रखने पर राजी कर मांगते हैं। देर रात लोग रामकथा में डूबे रहे। इस दौरान राहुल तिवारी, अभय तिवारी, नारायन तिवारी, अवधनाथ तिवारी, गौसी तिवारी, श्रीधर तिवारी, ओमकार तिवारी, नरेंद्र तिवारी, सुबास तिवारी, अमरेश तिवारी, सेशमरी तिवारी आदि मौजूद रहे।
रिपोर्ट-प्रदीप वर्मा