लालगंज आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। जामिया फैज़े आम देवगांव में आयोजित तीन दिवसीय इज्तेमा का मंगलवार को दुआ के साथ समापन हो गया। इसमें आज़मगढ़, जौनपुर, बनारस, चंदौली, भदोही, अम्बेडकर नगर, मऊ, गाजीपुर आदि से तब्लीग से जुड़े और हजारों स्थानीय लोग शामिल हुए। कड़ाके की सर्दी के बीच भी लोग जामिया की मस्जिद और प्रांगण में जमा होकर अकाबरीन के संबोधन को ध्यान पूर्वक सुने।
वक्ताओं ने कहा कि हमें दिन में पांच बार नमाज अदा करने के साथ पैगंबर मुहम्मद साहब की सुन्नत का शत-प्रतिशत पालन करना चाहिए, इसी में हमारी भलाई है। जामिया फ़ैजे आम का उक्त जलसा न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण रहा। आखिरी दिन फज्र की नमाज के बाद सुबह बयान शुरू हुआ। जिसमें इस्लाम को पूरी तरह जानने की कोशिश करने की उपस्थित जनों को सलाह दी गई। सबसे खास बात यह रही कि कड़ाके की सर्दी के बावजूद लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं आयी। अंतिम दिन वक्ताओं ने कुरान और हदीस के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और इस्लामी शिक्षा, सामाजिक सुधार और नैतिकता पर जोर देते हुए अपने विचार व्यक्त किए।
इस मौके पर संदेश दिया गया कि इस्लामिक शिक्षाओं का पालन करके जीवन में शांति और सफलता हासिल की जा सकती है। जामिया फ़ैज़े आम का उक्त कार्यक्रम एकता और समाज में सुधार का सर्वाेत्तम उदाहरण रहा।
मरकज़ निज़ामुद्दीन दिल्ली से आए मौलाना शरीफ ने अंत में संक्षिप्त बयान में कहा कि बिना किसी सख्त आवश्यकता के मोबाइल फोन से दूर रहें और अल्लाह के आदेश और पैगंबर मुहम्मद साहब की सुन्नत का शत प्रतिशत पालन करें, इसी में हमारी भलाई और सफलता का राज़ छुपा है। उन्होंने कहा कि जब तक हम अल्लाह के हुक्म और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत पर अमल नहीं करेंगे, हमें सफलता नहीं मिल सकती। अंत में मौलाना शरीफ की दीगर दुआओं के साथ दुनिया और मुल्क में अमन व अमान की दुआ के साथ कार्यक्रम संपन्न हो गया।
रिपोर्ट-मकसूद अहमद