विदेशों के मुकाबले भारत में काफी निचले स्तर की है इनकी जिंदगी
नई दिल्ली (सृष्टि मीडिया)। विदेशों में यौनकर्मी या फिर कहें सेक्स वर्कर्स के लिए जिंदगी शायद थोड़ी आसान है क्योंकि उन्हें एक सोसाइटी के निचले हिस्से के रुप में स्वीकार कर दिया गया हैं लेकिन भारत में सेक्स वर्कर्स के लिए स्थिति आसान नहीं हैं। भारत के कई शहरों में इनके लिए अलग से एरिया हैं जहां पर सेक्स वर्कर्स मिलती हैं। वहीं आनलाइन चीजें हो जाने से कई कंपनियां सोशल मीडिया या फोन पर बात करके अपने क्लाइंट से संपर्क करती हैं। सेक्स वर्कर्स की किसी भी तरह से आसान नहीं होती हैं। सामुदायिक संगठन हमसफर ट्रस्ट की शोध सहायक उर्मी जाधव एक घटना को याद करती हैं और बताती है कि एक ग्राहक ने एक महिला से वीडियो कॉल पर सेक्स के लिए शुरू में उसे 1,000 रुपये देने का वादा किया था। बाद में वीडियो कॉल को रिकार्ड कर लिया गया। इसके अलावा महिला को केवल 200 रुपये दिए। उससे ज्यादा पैसा देने से इनकार कर दिया। महिला को ब्लैकमेल भी किया गया।
जब बढ़ जाती है उत्पीड़न सम्भावना
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, लखनऊ स्थित लैंगिक अधिकार कार्यकर्ता ऋत्विक दास कहते हैं, यौन कार्य में ट्रांस महिलाएँ काफी हद तक सड़क पर आधारित होती हैं, जहाँ अपराधियों द्वारा लक्षित होने के साथ-साथ पुलिस द्वारा उत्पीड़न की संभावना बढ़ जाती है। दास कई उदाहरणों को याद करते हैं, जिसमें लॉकडाउन के बाद लखनऊ-कानपुर राजमार्ग पर खड़ी ट्रांस महिलाओं को कुछ मोटर चालकों ने टक्कर मार दी थी। इसके अलावा उन्हें सड़क पर ही मरता छोड़ कर वह भाग भी गये। भारत में कानून अपने आप में यौन कार्य को अवैध नहीं बनाता है लेकिन देश के कानून के अनुसार वेश्यालय चलाना, यौनकर्मी की कमाई पर जीवन यापन करना या सार्वजनिक रूप से यौन कार्य करने की याचना करना अपराध है। मई 2022 में अपनी सिफारिशों के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि पुलिस को न तो दखल देना चाहिए और न ही वयस्क और सहमति से यौनकर्मियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करनी चाहिए।

रणनीति बनाकर किया जाता है परेशान
महाराष्ट्र और दिल्ली के कुछ हिस्सों में पुलिस ने यौनकर्मियों के ग्राहकों को भगाना शुरू कर दिया, जिससे उनका व्यवसाय प्रभावित हुआ। कुछ मामलों में ग्राहकों को पुलिस स्टेशनों में घसीटा गया था। वकील समूह की वकील तृप्ति टंडन कहती हैं कि यौनकर्मियों को अप्रत्यक्ष रूप से परेशान करने के लिए इस तरह की रणनीति उन्हें अधिक नुकसान के चंगुल में धकेल सकती है। ग्राहक उनसे ऐसे स्थान पर मिलने की मांग कर सकते हैं जो पहले तय नहीं किया गया था और जहां उन्हें सुरक्षा प्रदान करने वाली परिचित प्रणालियां गायब हैं।