जीवन क्षणभंगुर है, मानव कल्याण के लिए करें कार्य: प्रभाकर त्रिपाठी

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पटवध आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। बिलरियागंज क्षेत्र में पटवध कौतुक प्राचीन शिव मंदिर पर नौ दिवसीय श्रीराम कथा एवं मानस यज्ञ के तीसरे दिन आचार्य डॉ.प्रभाकर त्रिपाठी मानस मर्मज्ञ ने रविवार शाम को अपने मुखारविंद से श्रीराम कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि भगवान श्रीराम जी हमेशा मर्यादित होकर मानवीय संवेदना की स्थापना के लिए तत्पर रहते थे। इसीलिए भगवान श्रीराम जी को मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहा गया है।
उन्होंने एक अच्छा संदेश दिया कि मित्र को मित्र के साथ, पिता को पुत्र के साथ, राजा को प्रजा के साथ, भाई को भाई के साथ, शत्रु से शत्रुता कैसे की जाए। उनके जीवन से यह सीखा जा सकता है। भगवान राम के नाम में सिर्फ दो शब्द आता है रा और म जिसमे रा का अर्थ है राष्ट्र एवं म का अर्थ मंगलमय यानी कि राष्ट्र का मंगलमय हो। रावण का अर्थ होता है अपने स्वार्थ के लिए केवल कार्य करना। समाज में अच्छा मूल्यवान व्यक्ति बनने के लिए त्याग तपस्या समर्पण की भावना होनी चाहिए जिससे सभी का कल्याण हो। मानस मर्मज्ञ ललित नारायण गिरी महाराज ने अपनी कथा में बताया कि मानव जीवन क्षणभंगुर है 84 लाख योनियों में भ्रमण करने के बाद मानव का जीवन मिला है इस मानव जीवन को व्यर्थ न जाने दें, प्रभु के शरण में अपने को न्योछावर करें और देश हित तथा राष्ट्रहित में काम करें। कथावाचक ललित नारायण गिरी के साथ उनके सुपुत्र शिवनारायण गिरी, शिवेश सिंह, अभय सिंह, आलोक सिंह ने अपने भजन और संगीत के माध्यम से क्षेत्र का माहौल राममय बना दिया। इस मौके पर हजारों श्रद्धालुओं ने अनुपस्थित होकर कथा का अमृत पान किया।
रिपोर्ट-बबलू राय

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