धर्म का कार्य अवश्य सफल होता है: ललित नारायण

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पटवध आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। बिलरियागंज क्षेत्र के पटवध कौतुक शिव मंदिर पर नौ दिवसीय श्रीराम कथा एवं मानस यज्ञ के पांचवें दिन सुबह श्रीकांत पांडेय के नेतृत्व में राहुल दुबे, सौरभ तिवारी, सोनू पांडेय इत्यादि विद्वानों द्वारा मंत्रोच्चार के साथ मानस पाठ एवं यज्ञ का कार्यक्रम चला। वहीं श्रद्धालुओं ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा की। शाम को मानस मर्मज्ञ कथावाचक ललित नारायण गिरी जी महाराज ने श्रीराम के बाल्यावस्था का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान राम मानवीय रूप में पृथ्वी पर आए तो किसी को एहसास नहीं हुआ। केवल विश्वामित्र को जानकारी हुई कि भगवान राजा दशरथ के घर पुत्र के रूप में अवतरित हुए हैं।
भगवान श्री राम के जन्म से लेकर अशोक वाटिका का वर्णन करते हुए माता सीता द्वारा सती मंदिर में पूजा अर्चन तक की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि विश्वामित्र ने राजा दशरथ से भगवान श्रीराम को मांगने से पहले वचन दिलाया कि आप राजा हैं मैं तभी मांगूंगा जब आप हां कहिए। राजा दशरथ ने कहा कि रघुकुल रीति सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जायी। तब उन्होंने भगवान श्रीराम को ले जाने के लिए कहा कि मैं उन्हें एक अच्छी शिक्षा एवं संसार के कल्याण के लिए ले जा रहा हूं। जब राम जी जाने लगे तो रास्ते में गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या का उद्धार किया। ताड़कासुर का वध किया। उसके बाद ऋषियों, मुनियों के मार्ग में आने वाली बाधाओ को दूर किया।
रिपोर्ट-बबलू राय

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