आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। उत्तर भारत के पेरियार कहे जाने वाले ललई सिंह यादव के 113वें जन्मदिन को ‘सामाजिक न्याय दिवस’ के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजसेवी श्रीराम यादव ने किया व मुख्य अतिथि श्री रामकुमार निषाद जी थे।
रामकुमार निषाद ने कहा कि नेता नहीं नैतिक बनने की आवश्यकता है। जातियों के विभाजन ने वंचितों के हक-हिस्से की लड़ाई व अधिकार से बहुत दूर रखा। आज भी, आजादी के 75 साल बाद भी, अबतक पचासी फीसदी समाज कोई भी प्रधानमंत्री नहीं बना। फिर भी हमको जातिवादी कहा गया जो कि बहुजन समाज के प्रति अन्याय व लांछन है। हरिराम बागी ने कहा कि आज के समय में शिक्षा ही वो एकमात्र रास्ता बचा है, जिससे वंचितों को न्याय मिलेगा। रामकुमार यादव ने कहा कि पेरियार ललई यादव के बताये हुए रास्ते पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धाजंलि होगी।
कार्यक्रम के अध्यक्षता करते हुए श्रीराम यादव ने कहा कि सच्ची रामायण में भारतीय संविधान की आत्मा का मूल छिपा है। यदि शोषितों व वंचितों को न्याय चाहिए तो सच्ची रामायण को पढ़ना चाहिए। आजादी का मकसद अभी सफल नहीं हुआ क्योंकि 85 फीसदी समाज आज भी फाकाकसी का जीवन जीने को मजबूर है। ललई सिंह एक ऐसे कर्मवीर योद्धा थे जिन्होंने सेना में नौकरी करते हुए सिपाही की तबाही किताब लिखा। इस अवसर पर संयोजक गुलशन कुमार, रामधनी प्रधान, सपा प्रवक्ता चंचल कुमार, रामधारी निषाद, सुशील मौर्य, इन्द्रासन प्रधान, पलकधारी यादव आदि लोग उपस्थित रहे।
रिपोर्ट-रामसिंह यादव