श्रमजीवी पत्रकार यूनियन उत्तर प्रदेश की वाराणसी ईकाई ने किया झंडारोहण
वाराणसी (सृष्टि मीडिया)। भारत के पत्रकार मूलत: जनता का प्रतिनिधि मानकर पत्रकारिता के क्षेत्र में आए थे। यदि सही ढंग से आँका जाए तो स्वतंत्रता के लड़ाई की पृष्ठभूमि पत्रों और पत्रकों ने ही तैयार की, जो आगे चलकर राजनेताओं एवं स्वतंत्रता संग्रामियों को पहले पत्रकार बनने के लिए प्रेरित किया। पंडित बालगंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू एवं डॉ. राजेंद्र प्रसाद आदि सभी पत्रकारिता से संबद्ध रहे। उक्त बातें श्रमजीवी पत्रकार यूनियन उत्तर प्रदेश के वाराणसी अध्यक्ष अमन विश्वकर्मा ने व्यक्त किए। मौका था देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस पर झंडारोहण का। मंगलवार की सबह यूनियन के वाराणसी ईकाई के सभी कार्यकर्ता गुरुधाम कॉलोनी में एकत्रित हुए। सभी पत्रकारों ने शहीद देशभक्तों और माँ भारती के वीर सपूतों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। तत्पश्चात झंडारोहण किया।
आज भी संघर्षपूर्ण है पत्रकारिता
अमन विश्वकर्मा ने कहा कि तकनीकी रूप में प्रारंभिक पत्रकार स्वयं रिपोर्टर, लेखक, लिपिक, प्रूफरीडर, पैकर, प्रिंटर, संपादक एवं वितरक भी थे। क्रूरता, अन्याय, क्षोभ, विरोध, क्लेश, संज्ञास और गतिरोध उनकी दिनचर्या थी, फिर भी वे अटल थे, अडिग थे, क्योंकि उनके समक्ष एक लक्ष्य था। वे देशभक्त थे। देशभक्त के समक्ष सभी अवरोधों, प्रतिरोधों एवं बाधक विचारों का खंडन उनका उद्देश्य था। ऐसी स्थिति में ब्रिटिश सरकार की दमनात्मक नीतियों के समक्ष सरकारी सहायता कौन कहे, साधारण सहिष्णुता भी उपलब्ध नहीं, जो आज सर्वत्र द्रष्टव्य है। भले ही इनकी दिशाविहीनता के कारण उन आदर्शों के निकट नहीं है। उस समय न नियमित पाठक थे, न नियमित प्रेस अथवा प्रकाशन। मुद्रण के लिए दूसरे प्रेसों के समक्ष हाथ-पाँव जोड़कर चिरौरी करनी पड़ती थी, ताकि कुछ अंक निकल पाएँ। ग्राहकों और पाठकों की स्थिति यह थी कि महीनों-महीना पत्र मँगाते थे और पैसा माँगने पर वे वापस कर देते थे।
अंग्रेजी हुकूमत को किया चकनाचूर
शौर्य न्यूज इंडिया के संपादक अजीत सिंह ने कहा कि देश को आजाद कराने में जो भूमिका समाचार पत्रों की रही वह स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तरह थी। देश के लोगों को जाग्रत करने के लिए समाचारों का प्रकाशन होता था। समाचार छापने के बाद अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ समाचार वितरण करना भी बहुत कठिन था लेकिन देश के लोगों ने आजादी के लिए समाचार पत्रों प्रेस में कार्य किया और लोगों को जाग्रत कर देश से अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंका। गर्ग मंगलवार को कैथल मीडिया क्लब द्वारा प्रेस दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम में विशेष रूप से पहुंचे थे।
जनसेवा का माध्यम है पत्रकारिता
महामंत्री पवन चक्रवाल ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में पत्रकारों की अहम भूमिका रही है। देश की आजादी में देश के वीर शहीदों के समान पत्रकारों ने अपनी भूमिका अदा की। पत्रकारिता एक पेशा नहीं, बल्कि जनसेवा का माध्यम है। लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करने एवं शांति व भाईचारे की भावना बढ़ाने में इसकी अहम भूमिका है। पत्रकारिता नई जानकारी देता है, लेकिन नई जानकारी से ही संतुष्ट नहीं होता इसलिए वह घटनाओं, नई बातों नई जानकारियों की व्याख्या करने का प्रयास भी करता है। घटनाओं का कारण, प्रतिक्रियाएं एवं उनकी अच्छाई बुराइयों की विवेचना भी करता है। भाषण के बाद पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने आगामी कार्ययोजना पर विमर्श किया। साथ ही अन्य जिलों में पदाधिकारियों के चयन पर भी विचार हुआ। कार्यक्रम में विनोद तिवारी, अंकित पांडेय, विकास गौड़, रोहित विश्वकर्मा, अजय भदौरिया, अजीत सिंह, अनुपमा सिंह, अल्का राय, मोनेश श्रीवास्तव, राजकुमार यादव आदि लोगों की उपस्थिति रही।