अतरौलिया (आजमगढ़)। रमज़ान उल मुबारक में रातों दिन अल्लाह की रहमतें, बरकतें, इनायतें और नवाज़िशें नाज़िल होती हैं। इससे पूरा पूरा फायदा वही लोग उठा पाते हैं जो उसकी रहमत के सच्चे तलबगार होते हैं। दिन में अल्लाह की रहमत हासिल करने का ज़रिया अगर रोज़ा है तो रात में अल्लाह की रहमत हासिल करने का ज़रिया नमाज़ ए तरावीह है। जिस तरह दिन में रोज़ा रखने पर बड़ा सवाब है, यूं ही रात में नमाज़ ए तरावीह पढ़ने पर भी बड़ा अजरो सवाब है। पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलैहे वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि रमज़ान के दिनों में रोज़े रखो, और उसकी रातों में क़याम करो। तरावीह मर्द औरत सबके लिए सुन्नते मोअककेदा है। उक्त बातें मौलाना मोहम्मद अब्दुल बारी नईमी आज़मी पेश इमाम जामा मस्जिद अतरौलिया एवं उस्ताद मदरसा अरबिया पैज़े नईमी सरैया पहाड़ी ने कही।