शिक्षा के साथ सुरक्षा को और भी मजबूत करना चाहिए
समाज में सकारात्मक बदलाव की सोच को नया आयाम देने की ज़रूरत
वाराणसी (सृष्टि मीडिया)। यूपी में विधानसभा चुनाव को लेकर सोमवार को आखिरी चरण की वोटिंग भी समाप्त हो गई। देर शाम मीडिया घरानों से एक्जिट पोल के माध्यम से नतीजे भी सामने आ गए। इसके पूर्व विकास जैसे तमाम मुद्दों पर सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने-अपने घोषणा पत्र जारी कर दिए। इन खबरों के बीच कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस बार महिलाओं का वोटिंग का परसेंटेंज पहले की अपेक्षा बढ़ने की सूचनाएँ आ रही हैं। इससे एक बात तो सच है कि महिलाएँ अब राजनीतिक रूप से भी लामबंद हो रही हैं और एक निर्णायक वोट बैंक में उभर रही हैं। आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हमारे न्यूज़ पोर्टल ने उन महिलाओं से बातचीत की जिन्होंने सही मायने में खुद को काबिल बनाया। मतदान के पूर्व अपने संस्था के माध्यम से इन महिलाओं ने मतदाता जागरुकता कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को अधिक से अधिक मतदान करने की भी अपील की थी। बनारस की इन महिलाओं ने समाज में एक सकारात्मक बदलाव की सोच को नया आयाम दिया है। इन्होंने न सिर्फ चुनौती को चुना बल्कि तमाम बाधाओं को दरकिनार कर महिलाओं को सशक्त बनाने का काम भी कर रही हैं।

आइडियल वूमेन वेलफेयर सोसायटी की सचिव बीना सिंह कहती हैं कि आने वाली सरकार में महिलाओं का सम्मान ही पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। अक्सर होता आया है कि सिर्फ महिला दिवस के दिन ही महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा की बातें होती रहती हैं यह नहीं होना चाहिए। सरकार अपने अधिकतर योजनाओं में निष्पक्षता से महिलाओं की भागीदारी करे इससे देश का विकास और महिलाओं का अधिकार दोनों का तालमेल बना रहेगा। खासतौर से बालिकाओं की शिक्षा के प्रति सरकार का रुझान ज़्यादा होना चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ी शिक्षित हो सके। ऐसी कार्यप्रणाली से ही एक बेहतर भारत का निर्माण होगा। बीना सिंह वृद्ध और बच्चियों को शिक्षित करती हैं।

दीक्षा महिला कल्याण शोध संस्थान की अध्यक्ष संतोषी शुक्ला कहती हैं कि महिलाओं के असुरक्षित होने का एक कारण है विदेशी संस्कृति और बॉलिवुड जगत की कुछ फिल्मों और गानों का अंधाधुंध प्रचलन। यह महिलाओं के प्रति गलत सोच और अवधारण को बढ़ावा देती हैं। फिल्मों से समाज काफी प्रभावित होता है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि ऐसा पहल करे जिससे फिल्मों के ही माध्यम से महिलाओं के प्रति ओछी सोच को खत्म किया जा सके। दूसरी तरफ, सरकारी योजनाओं के माध्यम से अब वृद्ध महिलाओं को भी शिक्षित करने की पहल करनी चाहिए। परिवार की बुजुर्ग महिलाएँ अगर शिक्षित रहेंगी तो वे उस शिक्षा को घर के अन्य बच्चों को बाँट सकती हैं। संतोषी शुक्ला बच्चों को शिक्षित करती हैं साथ ही उन्हें अन्य विधाओं में भी सम्बल बनाती हैं।

बीआर फाउंडेशन की संचालिका पूनम राय के अनुसार आधुनिक भारत और 21वीं सदी की बात करें तो महिलाएँ हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ चल रही हैं। बावजूद उसके प्रताड़ना जैसी खबरें आना काफी निराशाजनक हैं। आने वाली सरकार महिलाओं के हितों की रक्षा करने वाली होनी चाहिए। जो नारी सुरक्षा और सम्मान के लिए प्रयासरत रहे। महिलाओं के लिए विशेष आर्थिक सहायता का पैकेज भी सरकार को देनी चाहिए। पूनम राय बच्चों को पेंटिंग सिखाती हैं।

बेसिक शिक्षा परिषद की ऋचा सिंह कहती हैं कि शिक्षा का स्तर बढ़ने से ही महिलाओं और देश का उचित विकास सम्भव है। आने वाली सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं को और मजबूती देने के लिए प्रयासरत रहे। खासतौर से मध्यमवर्गीय परिवार की बेटियाँ को सरकारी सेवा और उच्च शिक्षा हेतु आर्थिक सहायता देनी चाहिए। आज के समय में महिला सुरक्षा एक सामाजिक मसला हो गया है इसे जल्द से जल्द सुधारने की जरूरत है। ऐसे मामले देश के विकास में भी बाधा बनते हैं। भारतीय संविधान के अनुसार महिलाओं को भी पुरुषों के समान स्वतंत्र, गौरवमयी जीवन जीने का हक़ है। सरकार को इस मामले को उचित काम करना चाहिए।

आराजीलाइन की शिक्षिका पूजा गुप्ता के अनुसार शिक्षा के बाजारीकरण के दौर में नि:स्वार्थ भाव से गाँव के गरीब बच्चियों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करना ही आने वाली सरकार का काम होना चाहिए। सरकार को यह संकल्प लेना चाहिए कि गरीब बच्चियों की शिक्षा में किसी तरह की कमी न आने पाए। इन्हें आर्थिक तंगी न सताए इसका भी इंतजाम होना चाहिए। सरकार को यह भी व्यवस्था करनी चाहिए कि आरटीई यानी शिक्षा का अधिकार सही और पात्र लोगों को मिले। दहेज जैसी कुप्रथा के कारण महिलाओं को प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है इससे बचाव के लिए सख्त कानून की व्यवस्था तो है लेकिन उसका उपयोग नहीं हो पाता। ऐसे कानून का प्रचार-प्रसार सरकार को करना चाहिए।