मुकदमों की तारिख लेने की बजाय परिवार का भविष्य सवारें लोग-मृतक

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। सच कहूं तो फांसी दे दो, झूठ कहूं तो जेल यह कहना मृतक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालबिहारी मृतक का है। मृतक संघ अकेले जन न्याय के लिए, धोखाधड़ी, अन्याय, भ्रष्ठाचाार से पीड़ितों और जीवित मृतकों के जमीनों, मकानों को वापस दिलाकर सामाजिक न्याय व मानव अधिकारों की रक्षा किया।
न्याय में देरी व मुकदमों में मिल रही तारिख पर तारिख से आहत लाल बिहारी मृतक ने बताया कि जमीनों, मकानों, पोखरा-पोखरी, तालाब खेत खलिहान उसर बंजर नवीन परती चक चकरोड, नाला, नाली, नाबदान, आबादी आदि जमीनों का विवाद भारत देश में है। प्रतिदिन मुकदमों में वृद्धि अधिकारियों कर्मचारियों की निष्क्रियता सरकार के साजिश से लाखों करोड़ों जनता का आर्थिक शारीरिक, मानसिक शोषण उत्पीड़न के शिकार मुकदमा लड़ रहे हैं। न्याय के बदले मिलती रहती है तारिख पे तारिख, उन्होने बताया कि 1976 से जिन्दा मुर्दा के चक्कर में करोड़ों रुपये डूब गया लेकिन अभी भी पूर्ण रुप से न्याय नहीं मिल सका है। न्याय व्यवस्था पर भी राजनीतिक व्यक्ति हावी है जो न्याय पालिका को भी बदनाम कराना चाहते हैं। उन्होने कहा कि मुकदमा लड़ने वाला व्यक्ति यदि खर्चा जोड़े तो वह पागल हो जायेगा, मुकदमा लड़ना छोड़ देगा या आत्महत्या कर लेगा। लाल बिहारी मृतक ने समाज में फैले इस मकड़जाल को देखते हुए जनता से अपील किया है कि वह जमीन जायदादों के विवाद से बचें। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजी-रोटी, कपड़ा, मकान, नौकरी के लिए जागरुक होकर कानून व न्यायलय का सम्मान कर अपने परिवार व भविष्य के लिए लड़े।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार

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