आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। जिलाधिकारी के निर्देशानुसार गुरूवार को ग्राम देवखरी में किसानों की चौपाल लगाकर नैनो यूरिया के प्रयोग के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ.आरके सिंह द्वारा नैनो यूरिया प्रयोग के विषय में किसानों को विस्तार से समझाया गया। कार्यक्रम में पीपीएल फर्टिलाइजर कंपनी के क्षेत्रीय प्रतिनिधि एसके तिवारी उपस्थित रहे। इसी के साथ-साथ जनपद के कृषि विज्ञान केंद्र कोटवा में भी नैनो यूरिया प्रयोग के विषय में जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया। जहां पर कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ.रूद्र प्रताप सिंह तथा इफको कंपनी के विकास ठाकुर एवं अन्य उपस्थित रहे।
वैज्ञानिकों ने बताया कि नैनो यूरिया का प्रयोग किसान गेहूं की बुवाई के 50 से 60 दिन के उपरांत फुल वानस्पतिक वृद्धि होने पर पत्तियों के ऊपर छिड़काव करें जिससे नैनो यूरिया का प्रभाव अत्यधिक प्राप्त होता है। 2-4 मिवलीव प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर गेहूं की फसल में एवं अन्य फसलों में छिड़काव किया जाए। नैनो यूरिया जनपद में प्रत्येक साधन सहकारी समिति पर उपलब्ध है। नैनो यूरिया की 500 मिवलीव की बोतल 225 रुपए की मिलती है। इसे स्वदेशी रूप से नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (कलोल, गुजरात) में विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य पारंपरिक यूरिया के असंतुलित और अंधाधुंध उपयोग को कम करना, फसल उत्पादकता में वृद्धि करना तथा मिट्टी, पानी व वायु प्रदूषण को कम करना है। नैनो यूरिया लिक्विड को पौधों के पोषण के लिये प्रभावी और कुशल पाया गया है। यह बेहतर पोषण गुणवत्ता के साथ उत्पादन बढ़ाने में भी सक्षम है। भूमिगत जल की गुणवत्ता और सतत् विकास पर भी इसका बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार