धान की फसल में हर्दिया व गंधी बग कीट का प्रकोप

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। बदलते जलवायु की वजह से कभी बारिश तो कभी धूप व कभी-कभी वातावरण में नमी का प्रतिशत बढ़ जा रहा है। आजकल खेतों में नमी खूब है और इस समय ज्यादातर धान की फसल में बालियां निकल रही है व फूल आ रहे हैं। बारिश तथा नमी 85-90 प्रतिशत से अधिक होने एवं तापमान 25 से 35 डिग्री होने और मिट्टी में अधिक नत्रजन प्रयोग करने से हर्दिया रोग तथा गंधी बग कीट का प्रकोप अधिक देखा जा रहा है।
कृषि विज्ञान केंद्र लेदौरा के अध्यक्ष डा. एलसी वर्मा ने बताया कि हर्दिया रोग एवं गंधी बग कीट के प्रकोप से बचाव के लिए अभी से सतर्कता बरतने की जरूरत है। पौध सुरक्षा वैज्ञानिक डा. महेंद्र प्रताप ने बताया कि तीन से चार दिनों तक रिमझिम बारिश, फुहार पड़ने, बदली छाई रहने तथा हवाओं के चलने से एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचकर धान की बालियों को कीट नुकसान पहुंचाता है। इस समय हर्दिया रोग से बचाव के लिए खेतों में खरपतवार तथा पूर्ववर्ती फसल अवशेषों को एकत्रित कर नष्ट कर देना चाहिए। कल्ले बनते समय कॉपर हाइड्रोक्साइड 77 प्रतिशत, डब्ल्यूपी की 1 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से तथा जब 50 प्रतिशत बालियां बाहर आ जाएं, तो प्रॉपिकॉनाजोले 25 प्रतिशत ईसी की 1 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। गंधी बग कीटों से बचाव के लिए कृषि वैज्ञानिक से सलाह लेने की जरूरत है।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव

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