आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। शैदा साहित्य मंडल के तत्वावधान में पुस्तक विमोचन एवं कवि गोष्ठी का आयोजन पठकौली स्थित हरिहर प्रसाद पाठक के आवास पर संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। इसके बाद सरस्वती वंदना हुआ। गोष्ठी के मौके पर लेखक हरिहर प्रसाद पाठक द्वारा रचित पुस्तक ’’इंद्रधनु मन के’’ का विमोचन किया गया।
डॉ.जगदंबा प्रसाद दुबे ने कहा कि पुस्तक में साहित्यकार एवं कवियों की साहित्यिक समीक्षा होने से निश्चित रूप से साहित्यिक जगत को नया मुकाम दिलाती है। डा. प्रवेश सिंह ने कहा कि सेना की नौकरी करते हुए अनवरत साहित्य साधना में तल्लीनता प्रशंसनीय व अनुकरणीय है। डॉ.ईश्वर चंद्र त्रिपाठी ने पुस्तक में वर्णित अनेक ऐसी रचनाओं का उदाहरण दिया जो समसामयिक के साथ-साथ समाज देश तथा साहित्य के लिए आधार स्तंभ है। कवित्री डॉ.मनीषा मिश्रा ने पुस्तक को इस कालखंड का अप्रतिम पुस्तक बताया। डॉ.आशा सिंह ने कहा कि पुस्तक में सभी प्रकार के रसों का समावेश है।
डॉ.राजा राम सिंह ने पुस्तक के सभी पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए इसे कालजयी अनुकरणीय व्याकरण सम्मत पुस्तक बताते हुए सराहना की।
अंत में लेखक हरिहर पाठक ने कहा कि आजमगढ़ की धरती का साहित्यकारों से गहरा नाता रहा, इनकी ही प्रेरणाओं ने मुझे ’’इंद्रधनु मन के’’ पुस्तक संजोने की शक्ति दी। इस अवसर पर डॉ. मदन मोहन पांडे, आदित्य आजमी, रुद्रनाथ चौबे, राजनाथ राज, राकेश पांडे सागर, आलोक शर्मा, राजेश कुमार अनंत, अजय कुमार पांडे, स्नेह लता राय, इंदु श्रीवास्तव, सरोज यादव, जय हिंद सिंह, महेंद्र मृदुल, आनंद पाठक आदि उपस्थित थे।ं संचालन विजयेन्द्र प्रताप श्रीवास्तव करुण ने किया।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार