भारत की शक्ति से विश्व में मानवता को होगा फायदा: आरिफ मोहम्मद खान

शेयर करे

रुद्राक्ष इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित तीन दिवसीय ‘काशी शब्दोत्सव’ का भव्य शुभारंभ

वाराणसी (सृष्टि मीडिया)। दुनिया का हर काम शब्दों के माध्यम से होता है। शब्द ही भारत की आत्मा को परिभाषित करता है। भारत जितना शक्तिशाली बनेगा, दुनिया और मानवता को उतना ही ज्यादा फायदा होगा। शारीरिक शक्ति से पैदा की गई भौतिक शक्ति की एक्सपायरी डेट होती है, लेकिन शब्दों की शक्ति से जो उत्पन्न होता है, वह नश्वर होता है। उक्त बातें केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शुक्रवार को रुद्राक्ष इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित तीन दिवसीय ‘काशी शब्दोत्सव’ के शुभारंभ अवसर पर व्यक्त किया।

विविधता में एकता की तलाश करना ही ज्ञान का उद्देश्य

पहले सत्र को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि महाभारत काल में दानवों ने पांडवों के लिए जो इंद्रप्रस्थ बनाया था, वो आज लुप्त हो चुका है। कुरुक्षेत्र के मैदान में भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का जो उपदेश दिया था, वो आज भी जिंदा है। आज तक गीता का एक अक्षर, एक शब्द नहीं बदला। इस मानसिक शक्ति की अभिव्यक्ति की ताकत का कोई जवाब नहीं है। मानसिक क्षमता की अभिव्यक्ति की एक्सपायरी डेट नहीं होती। कोई अक्षर ऐसा नहीं है, जिसमें मंत्र की शक्ति न हो। इससे आप शब्दों की शक्ति का अंदाजा लगा सकते हैं। राज्यपाल ने कहा कि गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर ने शब्द के महत्व के बारे में बताते हुए कहा था कि भारत की संस्कृति ज्ञान पर आधारित है। शब्द अक्षर से बनता है। हमारी संस्कृति भी आदिकाल से ज्ञान पर आधारित रही है। स्वामी विवेकानंद ने भी कहा था कि भारत की संस्कृति व आत्मा शब्द से ही परिभाषित होती है। शब्द की शक्ति का उत्सव मनाने के लिए शिव की नगरी काशी ही सर्वाधिक उपयुक्त स्थान है। उन्होंने नई तकनीक के माध्यम से शब्दों को सहेजने पर जोर दिया और कहा कि कंप्यूटर इसमें कारगर भूमिका निभा रहा है। जीवन का उद्देश्य सुख की प्राप्ति नहीं ज्ञान की प्राप्ति है। विविधता में एकता की तलाश करना ही ज्ञान का उद्देश्य है।

भारत का है आने वाला समय : सुनील आंबेकर

विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि आने वाला समय भारत का है। भारत के ज्ञान का मूल सार ही विश्व कल्याण है। भारतीय ज्ञान के प्रकट होने का उचित समय है। पूरे विश्व के सामने मनुष्यता कैसी हो इसको दिशा देना आवश्यक है। इस चिंतन में काशी का नेतृत्व नहीं होगा तो वह चिंतन आगे नहीं जा सकेगा। अध्यक्षता करते हुए पद्मश्री डॉ. राजेश्वर आचार्य ने कहा कि काशी अनंत शिव की अनादि गाथा है। मानसिक उदार चेतना वाली काशी में किसी को कभी छोटा मत समझना। न जाने कब कहां कोई ज्ञानी मिल जाए। काशी में संस्कृति और पद्धति में अंतर है। काशी सत्व में एकत्व बनाने का महत्व देता है। अतिथियों का स्वागत डॉ. हरेंद्र राय, संचालन शैलेश कुमार मिश्र ने किया। शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। इस दौरान अजित प्रसाद महापात्र, डॉ. राजीव तुली, आरएसएस के प्रांत प्रचारक रमेश, नरेंद्र ठाकुर, कृपाशंकर, रामाशीष सिंह, डॉ. विवेक पाठक, डॉ. के वेंकटरमण घनपाठी आदि मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *