UP में शिक्षकों को स्थानांतरण की दरकार, इनकी भी पीड़ा सुनिए सरकार

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आवेदन करने के बाद भी नहीं हुए शिक्षकों के स्थानांतरण

लखनऊ (सृष्टि मीडिया)। बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग के ढुलमुल रवैये से सेवारत कई शिक्षकों को कई बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है, अपने घर – परिवार से कोसों दूर रहकर सेवा करने वाले शिक्षकों को एक बार फिर से कई बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है । जिसका असर उनके परिवारिक जीवन पर भी पड़ रहा है। सरकार द्वारा जब शिक्षकों से स्थानांतरण सम्बंधी आवेदन मांगा गया था, एक बार उन्हें लगा कि जल्द ही उन्हें कई समस्याओं से निजात मिलेगी और वे अपने पारिवारिक जीवन के दायित्व को निभा सकेंगे । लेकिन शिक्षा विभाग की शिथिलता के चलते उनके सपने धूल धूसरित हो गए ,स्थिति अब यहाँ तक आ चुकी है कि न तो पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन कर पा रहे है और न ही सेवा को ढंग से चला पा रहे है ।

अंतर्जनपदीय व आकांक्षी जनपद के शिक्षकों का सबसे बुरा हाल

शिक्षा विभाग द्वारा नए सत्र का संचालन अब शुरू हो चुका है,इसके साथ ही शिक्षकों का स्थानांतरण न होने से इन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है । सबसे ज्यादा समस्या उन शिक्षकों को है जो अपने परिवार में अकेले है,और उनकी ड्यूटी उनके गृह जनपद से लगभग 200 किलोमीटर से अधिक दूरी पर है । इस स्थिति में वे न तो अपने माता-पिता की सेवा कर पा रहे है और न ही बाल बच्चों की देखभाल कर पा रहे है, इसके अलावा शादीशुदा शिक्षकों की हालत सबसे ज्यादा खस्ताहाल है । क्योंकि पति-पत्नी होने के बावजूद किसी भी प्रकार की आकस्मिक समस्या आने पर एक दूसरे की मदद करने से वंचित हो जा रहे है ।

वही उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश भर के पिछड़े आठ जिलों को आकांक्षी जनपद बनाया है, जिसमें नक्सल प्रभावित क्षेत्र सोनभद्र ,चंदौली, बहराइच, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, फतेहपुर, चित्रकूट, श्रावस्ती शामिल है, जिसमें शिक्षकों के अनुपात के क्रम में सरकार द्वारा यह व्यवस्था दी गई है कि जिन जनपदों से शिक्षक स्थानांतरण लेंगे ,उतने ही शिक्षक उन जनपदों में स्थान्तरण लेकर सेवा देंगे । ऐसी स्थिति में यह कहना मुश्किल हो पा रहा है कि इतने शिक्षकों के स्थानांतरण की व्यवस्था का दायित्व सरकार खुद क्यों नही निभा रही है ?

दो वर्ष पूर्व लिए गए थे आवेदन लेकिन मिल रही है मायूसी

बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा अंतर्जनपदीय शिक्षकों के स्थानांतरण के सम्बंध में सरकार द्वारा वर्ष 2019 में ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे, जबकि पिछले पांच वर्षों में केवल दो बार ही अंतरजनपदीय तबादले हुए हैं। पहली बार 2017-18 में 11963 शिक्षकों के तबादले हुए वहीं दूसरी बार 2019-20 में 26563 शिक्षकों के तबादले किए गए जिनकी सूची दिसम्बर, 2020 में जारी की गई। वहीं जिले के अंदर तबादले कई वर्षों से नहीं हुए हैं। हालांकि 2019 में तबादला के सम्बंध में मांगी गई आवेदन से शिक्षकों में स्थान्तरण की उम्मीद जगी थी लेकिन विभाग द्वारा उपेक्षित किए जाने के कारण अब केवल उनके हाथ मायूसी ही लग रही है ।

रिपोर्ट : प्रधान संवाददाता

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