आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। शहर की हरबंशपुर मोहल्ला स्थित एक विवादित जमीन पर किए जा रहे अवैध निर्माण को हरी झंडी देने में उप जिलाधिकारी सदर ज्ञानचंद गुप्ता की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है जबकि राजस्व निरीक्षक और लेखपाल की रिपोर्ट और रजिस्टर्ड मलिकान यह साबित कर रहा है की उक्त भूखंड कब्जाधारियों की नहीं बल्कि बच्चा कृष्ण दास के नाम दर्ज है।
मिशन तिराहा हरवंशपुर मोहल्ला स्थित गाटा संख्या 415, रकबा 20 कड़ी जो जम्मन 8 नान जेडए की जमीन है। इसके असली मालिक बच्चा कृष्ण दास है। मलिकन रजिस्टर में उनका नाम है। शहर में अभी तक जमींदारी विनाश अधिनियम लागू नहीं हुआ है। इसी भूखंड पर न जाने कब किसी पंचू ने अपना नाम दर्ज कर लिया। उसकी मृत्यु के बाद उसके वारिशों बिरजू, वीरेंद्र और भोला आदि का नाम दर्ज हो गया। फिर इस पर झोपड़पट्टी डाल दी गई और नगर पालिका के रजिस्टर में नाम दर्ज कराकर विद्युत विभाग से कनेक्शन ले लिया गया। भूखंड के तथा कथित मालकिन जयश्री से रिंका त्रिपाठी पत्नी प्रशांत त्रिपाठी, हरवंषपुर ने बैनामा करा लिया, जो पेशे से अध्यापक हैं। इस भूखंड के असली मालिक हर्षवर्धन अग्रवाल पुत्र दीपक अग्रवाल को जब पता चला कि उनकी जमीन पर अवैध निर्माण हो रहा है तो उन्होंने उप जिलाधिकारी सदर को प्रकरण की जानकारी दी। तब उप जिलाधिकारी ने जयश्री के जमीन के दावे को अवैध प्रतीत होते हुए क्षेत्रीय कानून और लेखपाल से जांच करने और निर्माण कार्य को रोक देने का आदेश दिया। जांच में स्पष्ट हो गया कि उक्त भूखंड गाटा संख्या 415 रकबा 20 कड़ी जम्मन 8 की जमीन है। मलिकान रजिस्टर में भी बच्चा कृष्ण दास का नाम दर्ज है जो की हर्षवर्धन अग्रवाल के पूर्वज हैं। विधि विषेशज्ञों का मानना है कि क्योंकि शहरी क्षेत्र में जमींदारी विनाश अधिनियम लागू नहीं है, इसलिए नियमतः यह जमीन उसी की है जिसका मलिकान खेवट रजिस्टर में नाम दर्ज है। यह क्षेत्र आजमगढ़ विकास प्राधिकरण के अंतर्गत आता है। इसलिए कोई भी निर्माण सचिव विकास प्रधिकरण की अनुमति और बगैर नक्शा पास कराये निर्माण नहीं हो सकता। फिर भी बैनामेंदार रिंका त्रिपाठी वहां निर्माण कार्य जारी रखी हुई है, क्योंकि एसडीएम सदर ने उन्हें निर्माण की हरी झंडी दे रखी है। उक्त भूखंड के मालिक दीपक अग्रवाल ने विनोद सिंह पुत्र सुखनन्दन सिंह, मडयां को स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी नियुक्त किया है। अब वह यहां वहां हाथ पांव मार रहे हैं कि यह अवैध निर्माण न होने पाए। उन्होंने आजमगढ़ विकास प्राधिकरण से लेकर मंडलायुक्त के दरवाजे तक दस्तक दी है। मामला जनसुनवाई पोर्टल से होते हुए मुख्यमंत्री तक भेज दिया गया है। अब आगे देखना है कि अवैध निर्माण हो पाता है या शासन-प्रशासन समय रहते इसको रुकवाने में सफल हो पाता है।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार