ठेकमा/मार्टिनगंज आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। ठेकमा ब्लाक क्षेत्र अंतर्गत सहनूडीह ग्राम पंचायत के बच्चों को ककहरा सीखने के लिए दूसरे गांव अथवा निजी स्कूल का सहारा लेना पड़ रहा है। विडंबना यह कि आजादी के 77 वर्ष में यहां प्राथमिक विद्यालय की स्थापना ही नहीं हो सकी। प्राथमिक विद्यालय न होने से यहां के बच्चों को दो चार किलोमीटर की दूरी तय करके निजी स्कूल या दूसरी ग्राम पंचायत में स्थित प्राथमिक विद्यालयों में जाना पड़ता है। आजादी के 77 वर्ष बाद भी यहां शिक्षा की बुनियादी व्यवस्था न होने से सवाल खड़ा हो रह है। अभी भी इस गांव के कुछ बच्चे बच्चियां स्कूल न होने से पढ़ नहीं पा रहे हैं।
गांव के जय गोविंद राय कहते हैं कि पढ़ने के लिए बच्चों को दूर जाना पड़ता है। बच्चे तो स्कूल जाते हैं लेकिन कुछ लड़कियां अभी भी अशिक्षित रह जा रहीं हैं। छेदी मिश्रा ने कहा कि दूसरे ग्राम पंचायत में पढ़ने के लिए बच्चों को मुख्य सड़क से जाना पड़ता है, जिससे हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। बच्चों को पढ़ाना है, इसलिए विवशता है। जनार्दन राय कहते हैं कि स्कूल काफी दूर है जिससे बच्चों को सुबह जल्दी उठकर तैयारी में लग जाना पड़ता है। बच्चे जब तक वापस नहीं आ जाते तब तक चिंता बनी रहती है। बच्चों के इंतजार में ही पूरा दिन बीत जाता है। गांव में स्कूल होता तो बच्चों की पढ़ाई में आसानी होती। हेमचंद, सुमन, अमित पूर्व प्रधान समेत अन्य ग्रामीणों ने कहा कि अगर गांव में स्कूल होता तो बच्चों की पढ़ाई में आसानी होती, लेकिन अभी तक स्कूल नहीं बना। बाकी सभी गांवों में लगभग सरकारी स्कूल है। जयराम प्रजापति का कहना है कि अधिकारी और जनप्रतिनिधि वर्षों से यहां विद्यालय बनवाने का आश्वासन देते हैं, लेकिन आजादी के बाद से अब तक यहां स्कूल नहीं बन पाया। ग्रामीणों ने सरकार और शिक्षा विभाग के अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए गांव में विद्यालय बनाने की मांग की है।
इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी ठेकमा रवि प्रसाद ने बताया कि यह मामला हमारे संज्ञान में है, उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। शासन से निर्देश मिलते ही विद्यालय निर्माण का कार्य प्रारंभ हो जाएगा, क्योंकि विद्यालय के लिए जमीन उपलब्ध है।
रिपोर्ट-एमके राय/आद्या प्रसाद तिवारी