फूलपुर-आजमगढ़ (सृष्टि मीडिया)। लाल भरूवा मिर्चा के लिए फ़ूलपुर तहसील क्षेत्र की मंडी प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों में प्रसिद्ध है। पूर्व में देश के बड़े शहरों में फ़ूलपुर तहसील क्षेत्र का लाल भरूवा मिर्चा का निर्यात होता था। देश के कोने कोने से ब्यापारी आते थे। परंतु लाल सोना मंडी की व्यवस्था न होने की वजह से अब व्यापारी कम आ रहे हैं।
किसान मायूस, कहाँ जाएँ
फ़ूलपुर कस्बे में लगने वाली इस मंडी में जहां सैकड़ो आढ़तियों की आढ़त होती थी वहीं सीजन में हजारों किसान लाल भरूवा मिर्चा लेकर आते थे। शाम को मिर्चा की बिक्री व आढ़तियों से खाली बोरा लेकर जाते थे। जनवरी से लाल भरूवा मिर्चा मंडी तक आने लगता था और मार्च माह तक लगातार आता था। मार्च बाद सूखा मिर्चा भी मंडियों में आढ़तियों के यहां आता था। समय बदलता रहा। एक अदद मंडी के लिए क्षेत्रवासी परेशान रहे। सरकार द्वारा इस लाल भरूवा मिर्चा के लिए कोई प्रोत्साहन भी नहीं मिला। सिर्फ आढ़तियों के सहारे किसान लाल भरूवा मिर्चा की खेती करते थे। इधर मंहगाई बढ़ी तो परिश्रम भी बढ़ा और लांभ अधिक से अधिक बिचौलियों का होता रहा जिसके कारण लाल भरूवा मिर्चा की खेती धीरे-धीरे कम होती चली गयी। ब्यापारियों की सुरक्षा की मुकम्मल ब्यवस्था न होने के कारण ब्यापारियांे का आगमन काफी कम हो गया। जिले में ही अलग अलग मंडी लगने लगी और खरीददार किसान से सीधे बात कर बड़े शहरों तक मिर्चा भेजने लगे जिसके कारण आज लाल भरूवा मिर्चा की आवक जहां काफी कम हो गयी वहीं आढ़त सहित अन्य ब्यवसाय भी काफी कम हो गया। आढ़तियों में घूरा सोनकर, अयूब, पारस, बफाती व अनारसी यादव, दिनेश, नसीम अहमद, बेचन मौर्य, मंगला सिंह आदि ने कहा कि वर्षांे से एक अदत मंडी की मांग होती रही पर सरकार द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। वरना आज क्षेत्र का किसान खुशहाल होता और लाल सोना के नाम से प्रसिद्ध होता।